भारत के इतिहास में महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के बारे मे सबने सुना है ! हल्दीघाटी के युद्ध में राणा दुश्मनों से घिर गए ! तब चेतक ने ही आपने प्राण देकर उनकी जान बचाई थी ! लेकिन क्या आपने कभी शुभ्रक घोड़े के बारे में सुना है? मेवाड़ के राजकुमार कर्ण सिंह के पास, शुभ्रक नाम का घोड़ा था ! जिसने प्राणों की बलि देकर कर्ण सिंह को कुतुबुद्दीन ऐबक की कैद से आज़ाद कराया था ! चलिए इस लेख में इस हिंदुस्तानका , और एक, स्वामिभक्त -“शुभ्रक घोड़ा”- के बारे में जानते है ! शुभ्रक घोड़े का इतिहास राजस्थान के मेवाड़ राज्य से हैं। चलो जानते है स्वामिभक्त जानवर शुभ्रक घोडे की कहानी ! (Shubhrak Ghode ki Kahani)
राजकुमार कर्ण सिंह के माता पिता:-
लगभग ११७० सीई. में युवा राजकुमारी कूर्मा देवी का विवाह चित्तौड़गढ़ के रावल समर सिंह देव से हुआ था ! समर सिंह एक चौहान राजपूत थे, जो महान बप्पा रावल के वंशज थे ! कूर्मा देवी (ऐतिहासिक अभिलेखों में कुरमदेवी या कर्म देवी के रूप में गलत वर्तनी) समर सिंह की दूसरी पत्नी थीं ! इन दोनों के बेटे का नाम राजकुमार कर्ण सिंह था ! पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गोरी की सेनाओं के बीच लड़ी गई तराइन की दूसरी लड़ाई (११९१ / ११९२ सीई) में समर सिंह मारे गये थे !
कुतुब अल-दीन ऐबक:-
कुतुब अल-दीन ऐबक को कुतुब उद-दीन ऐबक या कुतुब उद-दीन अयबक (११५०/१२१० सीई) भी कहा जाता है ! वह मामलुक राजवंश का संस्थापक और दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान था ! उसका जन्म तुर्किस्तान में तुर्क माता-पिता के यहां हुआ था ! बचपन में, ऐबक को गुलाम के रूप में बेच दिया गया और फारस के निशापुर में उसका पालन-पोषण किया गया ! जहाँ उसे स्थानीय काजी ने खरीद लिया ! काजी की मृत्यु के बाद, ऐबक को मालिक के बेटे ने बेच दिया ! अंततः ऐबक,घोर के मुहम्मद का गुलाम बन गया, जिसने उसे अमीर-ए-अखुर, गुलामों का मालिक बना दिया ! उसे वहां सैन्य कमान के लिए नियुक्त किया गया और वो घोर के मुहम्मद का एक सक्षम जनरल बन गया !
एक जंग में ऐबक, राणी कुर्मा देवी से हर गया था ! रानी कुर्मा देवी ने उसे मुर्दा जानकर छोड़ दिया था ! लेकिन ऐबक मरा नहीं था ! ऐबक ने फिरसे मेवाड़ पर हमला किया और कर्ण सिंह (कूर्मा देवी के पुत्र) को पकड़ लिया ! वह राजा से लूटी गई संपत्ति और धन के साथ-साथ कर्ण सिंह के घोड़े सुभ्रक को भी लाहौर ले गया !
शुभ्रक घोड़ा:-
संस्कृत में शुभ्रक का अर्थ है, जो शुभ (अच्छा) का प्रतीक धारण करता है ! जैसे महिलाएं चूड़ियाँ और पायल पहनती हैं, इस घोड़े ने अपने पैरों में कंगन या पायल पहन रखी थी और यह एक भाग्यशाली घोड़ा था ! और वो सुन्दर ,मजबूत और तेज़ रफ़्तार के लिए जाना जाता था !
लाहौर पहुँचने के बाद राजकुमार कर्ण सिंह ने भागने की कोशिश की ! लेकिन वो पकड़े गए ! कुतुबुद्दीन ने कर्ण सिंह का सिर काटने और मृत राजा के सिर के साथ पोलो मैच खेलने का आदेश दिया ! अगले दिन सिर कलम होते देखने के लिए कुतुबुद्दीन सुभ्रक घोड़े पर सवार होकर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा !
शुभ्रक ने तुरंत अपने स्वामी कर्ण सिंह को पहचान लिया और रोने लगा ! जब सिर काटने के लिए राजकुमार कर्ण सिंह को जंजीरों से मुक्त किया गया तो शुभ्रक बेकाबू हो गया और उसने कुतुबुद्दीन को जमीन पर पटक दिया ! शुभ्रक ने बचाव की अनुमति दिए बिना अपने शक्तिशाली खुरों से ऐबककी छाती और सिर के क्षेत्र पर लगातार प्रहार करना शुरू कर दिया ! घोड़े के १२/१५ शक्तिशाली प्रहारों के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक की मौके पर ही मृत्यु हो गई ! शुभ्रक द्वारा ऐबक की मृत्यु देखकर पूरी सभा स्तब्ध रह गई !
इससे पहले कि सेना शुभ्रक पर कब्ज़ा करने की कोशिश करती, शुभ्रक अपने मालिक कर्ण सिंह की ओर भागा, जो घोड़े पर चढ़कर भाग निकला ! शुभ्रक कई दिन और रात भागता रहा और एक दिन वह उदयपुर के महल में आ पहुँचा ! जैसे ही कर्ण सिंह नीचे उतरे और अपने प्रिय घोड़े का स्वागत करने लगे, घोड़ा एक मूर्ति की तरह दिखाई दिया और उसमें कोई जान नहीं थी ! जब कर्ण सिंह ने उसके सिर पर हाथ लगाया तो शुभ्रक मरकर जमीन पर गिर पड़ा !
शुभ्रक घोड़े को उसी उदयपुर महल के सामने दफनाया गया ! जहाँ पर आज भी शुभ्रक की समाधी बनी हुई हैं !
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शुभ्रक घोड़ा – एक जानवर घोड़ा एक गुलाम से बेहतर है !:-
शुभ्रक घोड़े ने ऐसा बलिदान दिया जो साधारण नहीं है ! इसने न केवल अपने स्वामी को बेवस मौत से बचाया, बल्कि अपनी अंतिम सांस तक यथासंभव सुरक्षित स्थान तक भागता रहा ! यह “स्वामी-भक्ति” (स्वामी के प्रति वफादारी) की भारतीय परंपरा का आदर्श उदाहरण है ! सबसे अच्छी बात यह है कि जहां ऐबक एक गुलाम और इंसान था, वह खून बहाकर अपने मालिक का उत्तराधिकारी बना ! वहीं शुभ्रक एक घोड़ा था जिसने एक जानवर होते हुए भी अपने मालिक की जान बचाने के लिए अपनी जान दे दी ! कुतुबुद्दीन ऐबक की तुलना शुभ्रक से करने पर हम वास्तव में समझ सकते हैं कि भारतीय घोड़े सल्तनत के गुलामों की तुलना में कहीं अधिक बहादुर और वफादार थे !
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IMAGE CREDIT GOOGLE.
निष्कर्ष:-
ये है / थी स्वामिभक्त जानवर शुभ्रक घोडे की कहानी! आशा है आपको शुभ्रक घोड़े के बारे में यह कम ज्ञात लेकिन अद्भुत कहानी पसंद आई होगी? कृपया इस वास्तविक कहानी पर अपने विचार कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं !
19 responses to “शुभ्रक घोड़ा – क्या आप इस के बारे में जानते है?”
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