टाइटैनिक का अंत महासागर के तल पर कैसे हुआ?

TITANIC
TITANIC

आरएमएस टाइटैनिक एकमात्र जहाज है जो हिमखंड से टकराने के कारण समुद्र में डूब गया। टाइटैनिक को अक्सर ‘आरएमएस टाइटैनिक’ के रूप में संदर्भित किया जाता है क्योंकि आरएमएस का मतलब रॉयल मेल शिप है। टाइटैनिक साउथेम्प्टन से न्यूयॉर्क शहर की अपनी पहली यात्रा के चार दिन बाद १५ अप्रैल १९१२ की सुबह उत्तरी अटलांटिक महासागर में डूब गया। जहाज़ पर सवार २२४० यात्रियों और चालक दल में से १५०० से अधिक लोगों ने इस आपदा में अपनी जान गंवा दी।सन १९१२ में ७.५ मिलियन डॉलर की अनुमानित लागत पर निर्मित, आज के डॉलर में टाइटैनिक के निर्माण में लगभग ४०० मिलियन डॉलर की लागत आएगी। १९८५ में एक संयुक्त अमेरिकी-फ्रांसीसी अभियान द्वारा खोजे जाने तक टाइटैनिक जहाज सात दशकों से अधिक समय तक उत्तरी अटलांटिक महासागर के तल पर अछूता पड़ा रहा। ऐसा मन जाता है की टाइटैनिक जहाज का सबसे महंगा टिकट कार्डेज़ा ने ख़रीदा था ! १९१२ में $२५६०, या आज $ ७०००० से अधिक।

टाइटैनिक

PHOTO IMAGE CREDIT GOOGLE – टाइटैनिक का डूबना

टाइटैनिक की पार्श्वभूमी:

समुद्र तले दफ़न एक रहस्य ! इतिहास के पन्नों में दर्ज एक ऐसी दुखद घटना, जिसने संपूर्ण विश्व को हिला कर रख दिया ! यह घटना उस जहाज़ की है, जिसे सदी का सबसे विशाल और कभी ना डूबने वाला जहाज़ कहा जाता था ! इसका नाम है RMS Titanic _आरएमएस टाइटैनिक ! टाइटैनिक की कहानी शुरू होती है, उन्नीसवीं शताब्दी की शुरुआत से ! उस समय जर्मन (German) और ब्रिटिश (British) में होड़ मची थी , बड़े बड़े जहाज़ का निर्माण करने की ! इसलिए ब्रिटेन ( Britain) सरकार ने एक ऐसा जहाज़ बनाने का फ़ैसला लिया जिसकी सजावट और कद एक आलीशान महल से भी बड़ा हो ! जो इस सदी का सबसे बड़ा जहाज कहलाए ! इसलिए ब्रिटेन सरकार ने व्हाइट स्टार लाइन कंपनी (white star line company) को जहाज बनाने के लिए करोड़ों डॉलर (Millions of Dollar) का लोन दिया ! इसके बाद ३१ मार्च १९०९ से उत्तरी आयरलैंड, बेलफ़ास्ट में शुरू हुआ टाइटैनिक का निर्माण !
टाइटैनिक हार्लैंड एंड वोल्फ और ब्रिटिश शिपिंग कंपनी व्हाइट स्टार लाइन द्वारा निर्मित तीन जहाजोंमें से एक था !
मानते है की टाइटैनिक नाम ग्रीक पौराणिक कथाओं के टाइटन्स से लिया गया है।

टाइटैनिक का निर्माण:

लगभग पंद्रह हज़ार अभियंता और कारीगरों ने तीन साल कड़ी मेहनत करके पानी में चलता एक भव्य और आलिशान जहाज तैयार किया ! इस जहाज को सोलह अलग अलग अनुभाग, सहज भाषा में डिब्बों (compartments) में बनाया गया था, जो पूरी तरह से जलरोधी (water tight) थे ! इसकी इसी खूबी के कारण ही इसे कदापी न डूबनेवाला जहाज (unsinkable ship) कहा जाता था ! २ अप्रैल १९१२ को टाइटैनिक बनकर तैयार हो चुका था ! इस जहाज की भव्यता का एहसास जितना बाहर से होता था ;अंदर जाकर वो दुगना हो जाता था ! व्हाइट स्टार लाइन ने जब यूरोप और अमेरिका के बीच टाइटैनिक की सेवाओं का ऐलान किया, तो लोग इसकी पहली यात्रा को लेकर रोमांचित हो गए ! कहा जाता है कि जिस समय टाइटैनिक अपनी पहली यात्रा के लिए तैयार था,तब इसे देखने के लिए एक लाख से अधिक लोग बंदरगाह पर आए थे !

टाइटैनिक पर बोर्डिंग:

१० अप्रैल १९१२ को टाइटैनिक ९२० यात्रियों के साथ इंगलैंड (England) के साउथेम्प्टन (South Empton) से न्यूयॉर्क (New York) की तरफ निकल पड़ा ! १७९ प्रथम श्रेणी, २४७ द्वितीय श्रेणी, और ४९४ तृतीय श्रेणी। यहाँ से निकलकर टाइटैनिक लगभग ४२ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से शाम को चेरबर्ग, फ़्रांस (Cherbourg France) पहुंचा ! और यहां से २७४ (१४२ प्रथम श्रेणी, ३० द्वितीय श्रेणी, और १०२ तृतीय श्रेणी) यात्रियों को लेकर टाइटैनिक क्वीन्स टाउन आयरलैंड (QUEENSTOWN , IRELAND ) पहुंचा ! और यहाँ से भी १२३ यात्रियों को लेकर टाइटैनिक अपने अंतिम सफर न्यूयौर्क के लिए रवाना हुआ ! ३ प्रथम श्रेणी, ७ द्वितीय श्रेणी, और ११३ तृतीय श्रेणी। सभी १३१७ यात्रिओंके अलावा लगभग ९०० की मात्रा में क्रू मेंबर्स जहाज़ पर थे ! यानि कुल मिलाकर टाइटैनिक में लगभग २२००+ लोग सवार थे !

एहतियाती सूचनाओं की अनदेखी:

टाइटैनिक जब आयरलैंड से निकला तब टाइटैनिक को उसके रास्ते पर हिमखंड (Iceberg) मौजूद होने की पहली चेतावनी मिली ! लेकिन जहाज़ के कप्तान(Captain) एडवर्ड जॉन स्मिथ (Edward John Smith) ने इस चेतावनी पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया ! और जहाज़ की रफ़्तार कम नहीं की, जो कि अपनी पूरी रफ़्तार के साथ समुद्र को चीरता हुआ आगे बढ़ रहा था ! रात होते होते कप्तान एडवर्ड स्मिथ को लगभग छे (SIX) चेतावनी वाले संदेश अन्य जहाज़ों द्वारा दिए जा चुके थे ! लेकिन कप्तान स्मिथ, ना ही जहाज़ की रफ़्तार कम करना चाहते थे और ना ही इन चेतावनी को गंभीरता से लेने वाले थे ! क्योंकि कप्तान स्मिथ अपने सेवानिवृत्ति और टाइटैनिक की प्रतिष्ठा में एक और रेकॉर्ड जोड़ना चाहते थे ! वे टाइटैनिक को विशाल जहाज़ होने के साथ इस सदी का सबसे तेज जहाज़ होने का दर्जा भी दिलवाना चाहते थे ! (यह भी माना जाता है कि जहाज के मालिकों ने उन्हें जहाज़ की गति कम करने की अनुमति नहीं दी थी ! क्योंकि उन्हें, व्यावसायिक तौर पर,टाइटैनिक को सबसे तेज़ जहाज़ के रूप में दुनिया को दिखाना था !)

विशाल हिमखंड के साथ टकराव:

१४ अप्रैल की उस अंधेरी रात को कप्तान स्मिथ ने सुरक्षा बरतनी के लिए जहाज़ के चालक दल के दो सदस्य फ्रेडरिक फ्लीट (Frederick Fleet) और रेगिनाल्ड ली (Reginald Lee) को जहाज़ के ऊपर निगरानी के लिए तैनात किया ! ताकि वह किसी भी खतरे की जानकारी तुरंत कप्तान स्मिथ को दे सके ! उस रात समुद्र एकदम शांत था ! आसमान में चाँद नहीं था ! इसलिए उन्हें सिर्फ तारों की हलकी रौशनी ही मिल रही थी ! तभी अचानक रात ११.३९ के समय पर निगरानी पर तैनात फ्रेडरिक फ्लीट ने जहाज़ के ठीक सामने एक कालासा पहाड़ देखा ! उन्हें बर्फ की चट्टान नहीं दिखी ! यह देख फ्रेडरिक तुरंत समझ गया कि टाइटैनिक के सामने एक विशाल हिमखंड (Iceberg) है ! फ्रेडरिक फ्लीट ने एक क्षण भी ना गंवाते हुए तीन बार घंटा बचा दिया ! और, फिर तुरंत जहाज़ पर मौजूद फ़ोन पर खबर दी – बर्फ की चट्टान बिल्कुल सामने हैं ! ये सुनते ही सारे अफ़सर जहाज़ को मोड़ने की कोशिश करने लगे ! अचानक हुए फ़ैसला से कप्तान स्मिथ ने टाइटैनिक को उस बड़े हिमखंड (Iceberg) से दूर ले जाने की सारी कोशिशें की ! लेकिन, अफसोस रात ११.४० पर जहाज़ की दाईं ओर (right side) का निचला हिस्सा उस बड़े हिमखंड से टकराया !

हिमखंड से टकराव का टाइटैनिक पर प्रभाव:

टकराव इतना ज़ोरदार था कि इसने तृतीय श्रेणी में स्थित यात्रियों को एक बड़ा झटका दे दिया था ! यात्रियों को पता उस वक्त लगा जब टाइटैनिक को एक जगह पर रोक दिया गया और इंजन बंद कर दिए गए ! जैसे ही यह खबर फैली कि जहाज़ टकरा गया है, तो लोग यहाँ वहाँ भागने लगे ! पूरे जहाज़ पर खौफ का माहौल था ! जब टाइटैनिक हिमखंड से टकराया था तो उसने जहाज़ के निचले हिस्से की प्लेट्स को चीर दिया था ! जिससे जहाज़ की दाई ओर में तीन सौ फ़ीट तक के कीलें बाहर आ गई थी ! कीलें बाहर आ जाने से आपस में जुड़ी प्लेट्स सरक गई और पानी तेज़ी से अंदर लगा ! वहीं जब जहाज़ के निचले हिस्से में पानी भरना शुरू हुआ, तो तृतीय श्रेणी वाले सभी यात्री ऊपर की ओर भागने लगे ! इस घटना से चिंतित होकर टाइटैनिक के डिजाइनर थॉमस एंड्रयूज (Thomas Andrews) ने कप्तान स्मिथ को बताया कि जहाज़ के पांच अनुभाग (Compartments) में पानी भर चुका है ! और कुछ ही समय में पानी जहाज के डेक के ऊपर से बहते हुए एक एक करके सारे अनुभाग में भर जाएगा ! स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, सभी जीवन नौकाएँ (Life boats) को बाहर निकाला जाने लगा !

पर्याप्त संख्या में जीवन नौकाओं का अभाव:

लेकिन उस समय टाइटैनिक पर केवल बीस ही जीवन नौकाएँ मौजूद थी ! जिसकी क्षमता लगभग ६५ यात्रिओंकि थी ! लेकिन अफरा तफरी और घबराहट में जीवन नौकाएँ में केवल २८ – ३० यात्रियों को ही चढ़ाया गया ! इस बात पर सवाल भी उठे कि कप्तान होने के नाते स्मिथ को इस बात की जानकारी थी कि जहाज़ में कितने यात्री हैं और कितनी जीवन नौकाएँ हैं ! फिर भी कई नावों को बगैर पूरी तरह भरे जाने दिया गया और इसी वजह से ज़्यादा लोगों की जानें गई ! यह मानते हुए कि टाइटैनिक अकल्पनीय है, कैप्टन ने जहाज पर जीवन नौकाओं की उपलब्धता पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया। यह कप्तान की बेहद दुखद गलती थी ! उस रात जहाज़ पर चारों तरफ खौफ का माहौल था !

टाइटैनिक पर बहादुर संगीतकार:

टाइटैनिक संगीतकार

इसी बीच, जहाज़ पर मौजूद संगीतकारोंका का एक दल अपनी ज़िंदगी की परवाह ना करते हुए मौत से बेखौफ होकर अपनी आखिरी सांस तक संगीत की धुनों को बचाता रहा ! ताकि, मरने वाले अपनी आखिरी पल कुछ खुशी से बिता सके ! सभी संगीतकारोंको उनकी वीरता के लिए पहचाना गया, विशेषकर डूबने के अंतिम घंटों के दौरान। मिनट दर मिनट, टाइटैनिक चुपचाप समुद्र में नीचे और नीचे चला जा रहा था, उसपर सवार लोगोंके साथ । उस रात कई बहादुरी भरे काम किए गए, लेकिन उन संगीतकारों से ज्यादा बहादुरी भरा कोई काम नहीं था ! अपनी मौत को सामने होते हुवे भी , हड़बड़ किये बगैर , ये सभी संगीतकार बाकी मुसाफ़िरोंको शांती मिले , इसी सद्भावना से संगीत बजाते रहे !

संगीत को एक आरामदायक गतिविधि के रूप में बजाय गया । सभी संगीतकार दो घंटे से अधिक समय तक संगित बजाते रहे ! बिजली जाने के बाद, बैंड लीडर वालेस हार्टले (Wallace Hartley) ने अपना बैंड बर्खास्त कर दिया और अकेले बजाना जारी रखा। वालेस जहाज के साथ नीचे चला गया, उसका शव बरामद कर लिया गया। हार्टले के अंतिम संस्कार के छह दिन बाद, ऑर्केस्ट्रा एसोसिएशन ने उनके सम्मान में रॉयल अल्बर्ट हॉल में एक स्मारक संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया ! कई अलग-अलग ऑर्केस्ट्रा के पांच सौ संगीतकार रॉयल अल्बर्ट हॉल में बजाने के लिए पहुंचे। संगीत कार्यक्रम की आय संगीतकारों के परिवारों को दी गई। बैंड के सदस्यों को टाइटैनिक के वीर संगीतकारों के रूप में प्रतिष्ठित किया गया।
Reference & credit link for this show.

टाइटैनिक का दिल दहला देने वाला डूबना:

दूसरी तरफ जहाज़ में पांच से ज़्यादा अनुभाग (compartment) में पानी भरने से जहाज़ के आगे का हिस्सा १० डिग्री तक डूब चुका था, जिससे जहाज़ के पीछे वाला भाग ऊपर उठने लगा ! लगातार बढ़ते दबाव के कारण रात के २ बजकर ३० मिनिट पर टाइटैनिक बीच से टूट कर दो हिस्सों में अलग हो गया ! मात्र २ घंटे ४० मिनिट में कभी न डूबने वाला टाइटैनिक अपनी पहली ही यात्रा में अटलांटिक महासागर की गोद में समा गया ! इस दुखद घटना में पंद्रह सौ सत्रह लोगों की जानें गई ! इसमें से अधिकतर लोग डूबने से नहीं बल्कि २ डिग्री सेल्सियस ठंडे पानी में जमने के कारण मारे गए ! टाइटैनिक के डूबने के दो घंटे बाद, करीब सात सौ दस लोगों को बचा लिया गया था ! टाइटैनिक के डूबने से लेकर आज तक उसके डूबने के लिए अलग अलग सिद्धांत सामने आते रहे है ! जिसमें कोई सिद्धांत, इस घटना के लिए कप्तान स्मिथ को ज़िम्मेदार ठहराते है ! कोई सिद्धांत टाइटैनिक की बनावट और उसमें इस्तेमाल किए गए सामग्री को घटिया बताकर,उसे इसका ज़िम्मेदार मानते है !

टाइटैनिक के डूबने के बारे में क्या कहता है शोध?

२०१० में शुरू किए गए एक प्रोजेक्ट के तहत टाइटैनिक के डूबने की असली वजह जानने के लिए शोधकर्ताओं
की एक टीम ने, लाखों डॉलर के आधुनिक रोबोट्स और उच्च रिज़ॉल्यूशन वाले कैमरेओं ( High Resolution Camera) की मदद से, नॉर्थ अटलांटिक ओशन में, राडार तकनीक (Radar Technique) से स्कैनिंग करके, पंद्रह किलोमीटर के क्षेत्र का एक नक्शा बनाकर, टाइटैनिक के हर छोटे बड़े टुकड़ों की, लगभग एक लाख पचास हज़ार फोटोज़ और विडियो इकट्ठा करके, टाइटैनिक के मलबे के हर छोटे बड़े टुकड़ों का अध्ययन किया और लगभग दो साल की कड़ी मेहनत के बाद २०१२ में इस टीम ने टाइटैनिक को आभासी रूप से (virtually) तैयार करके इसके डूबने की असली वजहों को जानने का प्रयास किया !

टाइटैनिक डिजाइन और उसको बनाने में इस्तेमाल सामग्री पर कई तरह के प्रयोग करने के बाद टीम ने पाया कि टाइटैनिक डिजाइन में कहीं कोई कमी नहीं थी और ना ही उसमें इस्तेमाल कि गई सामग्री घटिया गुणवत्ता की थी ! दरअसल इस शोध में पाया गया कि टाइटैनिक के डूबने का मुख्य कारण उसकी तेज़ रफ़्तार थी ! क्योंकि तेज़ रफ़्तार से जब हिमखंड टकराया तो उससे हज़ारों टन का दबाव जहाज के निचले हिस्से पर पड़ा और इससे दबाव वाली जगह पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और फिर जहाज़ के पांच कम्पार्टमेंट में पानी भर जाने से जहाज़ आगे से टुटा और डूब गया !

आज टाइटैनिक कैसे और कहाँ है?

टाइटैनिक का मलबा न्यूफाउंडलैंड के तट से लगभग ३७० समुद्री मील (६९० किलोमीटर) दक्षिण-दक्षिणपूर्व में लगभग १२,५०० फीट (३,८०० मीटर; २,१०० थाह) की गहराई पर स्थित है। यह दो मुख्य टुकड़ों में लगभग २००० फीट (६०० मीटर) की दूरी पर स्थित है। इसकी तलाश एक अरसे से होती रही थी लेकिन कामयाबी १९८५ में मिली ! कहते है की टाइटैनिक को खोजने में रॉबर्ट बैलार्ड को आठ दिन लगे। उसके बाद से अभी तक बहोत से तैराक इस ऐतिहासिक मलबे के पास जा चुके हैं ! हालांकि सौ साल से भी ज्यादा पूरे होने से इससे पानी के नीचे की धरोहर में शामिल कर लिया गया है ! जिसके बाद टाइटैनिक के मलबे का संरक्षण अब संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक एजेंसी करती है ताकि इसके मलबे को गैर वैज्ञानिक और अनैतिक खोजों से बचाया जा सके ! हो सकता है आने वाली सदियों में, आधुनिक तकनीक से इस मलबे को समुद्र से बाहर लाया जाय !
एक हिमखंड ने भले ही टाइटैनिक को समुद्र में डुबो दिया हो , लेकिन इस घटना की यादें ; हमारे दिल से कितना भी बड़ा हिमखंड नहीं निकाल सकता , ये सच है !
टाइटैनिक की खोज कैसे हुई, इसके बारे में अधिक पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। (English)

टाइटैनिक से टकराने वाले हिमखंड का क्या हुआ?

यह १९१२ की शुरुआत थी। दक्षिण पश्चिम ग्रीनलैंड में एक ग्लेशियर से बर्फ का एक बड़ा टुकड़ा हिमखंड के रूप में टूट गया ! हिमखंड उस बर्फ से बना था जो, टाइटैनिक दुर्घटना की घटना से हजारों साल पहले, बनी थी। शायद तब, जब मैमथ पृथ्वी पर विचरण करते थे ! हिमखंड ने अपनी यात्रा शुरू की। यह लगभग ७०० फीट से अधिक लंबी और ७५ मिलियन टन से अधिक वजन वाली एक विशाल वस्तु थी ! देखा जाय तो , यह बर्फ का एक बहुत ही शांतिपूर्ण टुकड़ा था। यह जहाजों और व्यस्त परिवहन मार्गों से दूर चला गया और फिर यह किसी तरह अन्य हिमखंडों की तुलना में दक्षिण की ओर तैरने लगा। यह हिमखंड “बुरी तरह से भाग्यशाली” था क्योंकि अन्य हिमखंड इन निम्न अक्षांशों तक पहुंचने से बहुत पहले ही पिघल जाते हैं ! ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों से दूर जाने वाले ३०००० हिमखंडों में से केवल १% ही कभी अटलांटिक तक पहुंच पाते हैं ! महीनों तक पानी में पिघलने के बाद भी बर्फ का यह विशाल खंड अभी भी गोल्डन गेट ब्रिज से लगभग दोगुना भारी था।

हिमखंड का ऊपरी हिस्सा समुद्र की सतह से १० मंजिल ऊंचा था। इस हिमखंड के अटलांटिक महासागर में पहुंचने से कई दिन पहले, एक शानदार जहाज, टाइटैनिक, बंदरगाह से रवाना हुआ था। यह ३००० से अधिक यात्रियों और चालक दल के सदस्यों को ले जाने वाला एक लक्जरी जहाज था ! उस समय , यह अब तक बनाया गया ,सबसे बड़ा जहाज था। टाइटैनिक की टक्कर १४ अप्रैल को हुई थी ,जब जहाज उत्तरी अटलांटिक में था, न्यूफ़ाउंडलैंड से ३७० मील दूर ! अपने मार्ग को मोड़ने में असमर्थ जहाज के पतवार के कम से कम पांच विभाग टूट गए ! उनमें खतरनाक गति से पानी भरना शुरू हो गया। टाइटैनिक के विभागोंके उपर बंद होने वाले दरवाजे नहीं लगे थे। इस तरह से पानी फैल गया और प्रत्येक विभाग में बाढ़ आने लगी। जहाज का अगला हिस्सा डूबने लगा, जिससे पिछला हिस्सा हवा में सीधा खड़ा हो गया और फिर एक गगनभेदी गर्जना के साथ जहाज आधा टूट गया। बाकी इतिहास है।

लेकिन उसके बाद हिमखंड का क्या हुआ? १५ अप्रैल को, जर्मन महासागरीय जहाज एसएस प्रिंस एल्डेबर्ट उत्तरी अटलांटिक से होकर गुजर रहा था। यह उस स्थान से कुछ मील की दूरी पर यात्रा कर रहा था जहां कई घंटे पहले टाइटैनिक डूबा था। जर्मन जहाज़ों के प्रमुख स्टीवर्ड को आपदा के बारे में पता नहीं था ! उनके लिए वो एक एक आम हिमखंड था ! जिस चीज़ ने उसका ध्यान आकर्षित किया वह हिमखंड के उपर से जाती लाल रंग की एक बड़ी लकीर थी। आश्चर्यचकित होकर उस आदमी ने अपनी खोज की तस्वीर ले ली। उसने सोचा कि पेंट का मतलब है कि पिछले १२ घंटों के भीतर कोई जहाज हिमखंड से टकराया था।

अगला व्यक्ति जिसने हिमखंड को देखा और उसकी एक और तस्वीर ली, वह गहरे समुद्र में दूरसंचार केबल बिछाने वाले जहाज का कप्तान था ! इस जहाज को उस क्षेत्र में मदद के लिए भेजा गया था जहां टाइटैनिक डूबा था। कप्तान ने बाद में दावा किया कि उसने जो हिमखंड देखा था, वह उस क्षेत्र में एकमात्र था और उस पर लाल रंग भी था। इससे वो तस्बीर भी उसी हिमखंड की थी , ये पुष्टि हो गई ! २०१५ में इनमें से एक तस्वीर नीलामी में ३२००० डॉलर से अधिक में बिकी और अभी भी विशेषज्ञ अनिश्चित हैं कि क्या छवि वास्तव में बर्फ के कुख्यात खंड को दिखाती है। यह एक साधारण हिमखंड हो सकता है जो उस समय पास में तैर रहा था।

लेकिन ये सच है की एक महान अकल्पनीय जहाज़ हिमखंड के टकरानेसे चला गया। उत्तरी अटलांटिक के तल में डूब गया जहाँ यह आज भी मौजूद है। लेकिन हिमखंड कुछ गवाहों को हैरान करते हुए अपने रास्ते पर चलता रहा और धीरे-धीरे आसपास के पानी में पिघल गया। यह स्पष्ट नहीं है कि हिमखंड कब पूरी तरह से गायब हो गया।

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By gyanbyjabulani.in

मैं एक प्रमुख साइकिल चालक हूं और घूमना पसंद करता हूं। मैं प्रकृति के प्रति बहुत संवेदनशील हूं और कृतज्ञता के साथ-साथ ब्रह्मांड में मौजूद अनंत ऊर्जाओं में भी विश्वास रखता हूं। मैं कॉमर्स में पोस्ट ग्रेजुएट हूं और मुझे आईटी के साथ-साथ प्रबंधन में भी लगभग २१ वर्षों का पेशेवर अनुभव है।

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