तारीख थी १४ अगस्त १९४७। रात को बारह बज रहे थे ! १५ अगस्त १९४७ की आज़ादी की सुबह होने वाली थी ! दुनिया की आधी से ज़्यादा आबादी नींद में थी ! और उस वक्त भारत की आज़ादी का वो सुनहरा अध्याय लिखा जा रहा था ! जिसका हम कई सालों से इंतज़ार कर रहे थे !अंग्रेज़ी हुकूमत से आज़ाद होने की खुशी थी ! सब लोगों की आंखों में सिर्फ आनेवाले आज़ाद भारत के वह सुनहरे पल नज़र आ रहे थे, जिसे पिछले कई सालों से अंग्रेज़ों ने अपनी कैद में कर रखे थे !
१४ अगस्त १९४७ की वो रात जिसने हिंदुस्तान का इतिहास, भूगोल,भविष्य और सोच को बदल दिया ! वो रात थी आज़ादी की रात ! दिल्ली में १४ अगस्त के शाम से ही ज़ोरदार बारिश हो रही थी ! रात नौ बजते बजते राय सिन्हा हिल्स पर करीब पांच लाख लोगों का हुजूम जमा हुआ था ! बारिश तभी भी जारी थी !
१५ अगस्त १९४७. आज़ादी का पहला भाषण
रात को करीब दस बजे सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और मॉउन्टबेटन वायसराय हाउस पहुंचे ! १४ अगस्त १९४७ की रात बारह बजने में कुछ ही पल बाकी थे ! तब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दो लाइनें कहकर अपना प्रवचन शुरू किया !
इस भाषण के बारेमें और जानकारीके लिए लिंक पे क्लिक करे !
इस भाषण को A Tryst With Destiny (नियति के साथ एक मुलाकात) के नाम से जाना जाता है ! प्रधानमंत्री के भाषण की शुरुआत इन शब्दोंसे से शुरू होती है ! “हमने नियति को मिलने का एक वचन दिया था और अब समय आ गया है कि हम अपने वचन को निभाए ! पूरी तरह ना सही लेकिन बहुत हद तक आज रात बारह बजे, जब सारी दुनिया सो रही होगी, भारत, जीवन और स्वतंत्रता की नई सुबह के साथ उठेगा !” आखिरकार अंग्रेज़ी जकड़न की वह काली रात खत्म हुई और सूरज की पहली किरण के साथ आज़ादी की वह सुनहरी सुबह हुई !
चंद ही मिनटों में बारह बजे और १५ अगस्त का यह दिन _स्वतंत्रता दिवस_भारत के लिए खुशियां लेकर आया ! एक सौ नब्बे सालों बाद ब्रिटिश हुकूमत से देश स्वतंत्र हुआ था ! लेकिन इन खुशियों के साथ उतना ही गम भी था ! क्योंकि भारत ने अपना दस लाख छियालीस हज़ार सात सौ अड़तीस स्क्वेअर किलोमीटर का पूरा विस्तार और करीब आठ करोड़ पंद्रह लाख लोग एक ही रात में गवां दिए थे ! देश दो टुकड़ों में विभाजित हुआ था – हिंदुस्तान और पाकिस्तान !
भारत की आज़ादी के लिए १५ अगस्त १९४७ का दिन ही क्यों चुना गया?
१५ अगस्त के बहुत पहले ही ब्रिटिश हुकूमत का अंत शुरू हो गया था !महात्मा गांधी के जन आंदोलन से देश में नई क्रांति की शुरुआत हुई थी ! तो एक और सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिंद फौज ने अंग्रेज़ों का जीना दुश्वार कर रखा था ! ऊपर से दूसरे विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार में उतना दम भी नहीं था कि वो हिंदुस्तान पर अब शासन चला सके ! इसलिए मॉउन्टबेटन को भारत का आखरी वॉइसरॉय बनाया गया था, ताकि देश को आधिकारिक तरीके से स्वतंत्रता दी जा सके ! अंग्रेज़ों को भी भारत को आखिरकार एक टुकड़े में नहीं लेकिन दो टुकड़े में विभाजित करना था !
स्वतंत्रता के लिए दिन १५ अगस्त ही क्यों चुना गया? तो इसमें ऐसा है कि सिर्फ हम भारतीय ही शुभ और अशुभ में नहीं मानते थे बल्कि अंग्रेज़ भी उतना ही मानते थे ! मॉउन्टबेटन मानता था कि १५ अगस्त का दिन शुभ है, क्योंकि १५ अगस्त १९४५ के दिनही जापान ने दूसरे विश्वयुद्ध में शरणगति स्वीकारी थी और इसके आधिकारिक संकेत २ सप्टेम्बर को हुए थे ! इसलिए मॉउन्टबेटन के अनुसार १५ अगस्त का दिन मित्र राष्ट्रों के लिए शुभ था ! तो फिर रात बारह बजे के वक्त को ही क्यों तय किया गया ? तो इसके लिए भारतीय ज्योतिषियों का मानना था किवो वक्त देश की स्वतंत्रता के लिए शुभ है !
तय किया गया था कि पंडित नेहरू को अपना भाषण (speech) रात बारह बजे से पहले ही समाप्त कर देना है ! और रात बारह बजे शंखनाद के साथ भारतीय लोकतंत्र की शुरुआत होगी ! ठीक वैसा ही हुआ ! १५ अगस्त की सुबह ८.३० मिनट पर पंडित नेहरू और उनके कैबिनेट (cabinet) ने पद और गोपनीयता की शपथ ली ! रात के लगातार बारिश के बाद सुबह आसमान बिल्कुल साफ़ था ! लोग बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे,आज़ाद भारत के तिरंगे को लहराते हुए अपनी आंखों से देखने का ! देश के तिरंगे (Tri colour) को सबसे पहले जवाहरलाल नेहरू ने रात को बारह बजे ही पार्लमेंट सेंट्रल हॉल (parliament central hall) में लहराया था ! और दूसरी बार सुबह आठ बज कर तीस मिनट पर भव्य राष्ट्रध्वज को जनता के सामने ब्रिटिश (British) राष्ट्रध्वज को उतार कर लहराया गया ! देशवासियों की आंखों में ख़ुशी की आंसू थे !
भारत से अंग्रेजों का प्रस्थान !
आज़ादी के बाद १५ अगस्त के दिन ही एक साथ अंग्रेज़ों ने देश को नहीं छोड़ा !आज़ाद भारत के कुछ आला अफसर भी कुछ समय तक अंग्रेज़ ही रहे ! पंद्रह सौ ब्रिटिश सैनिकों की पहली टीम सत्रह अगस्त उन्नीस सौ सैंतालीस के दिन अपने देश रवाना हुई ! तो आखिरी टीम सत्ताईस अगस्त उन्नीससौ अड़तालीस के दिन निकली ! दोस्तों ताज्जुब की बात यह कि लुटेरे अंग्रेज़ हमारे देश के अतिथि बनकर आए हो उस तरह से उन्हें विदा किया गया ! उनकी आखिरी फौज ने जब मुंबई के बंदरगाह से विदाई ली, तब जॉर्ज ५ (George V) को विदाई देने वाला गीत बैंड बाजा के साथ बजाया गया ! आज़ादी से एक सौ नब्बे साल पहले भी उमीचंद और मिर जाफ़र ने Robert clive का ऐसे ही सम्मानके साथ स्वागत किया था और फिर क्या हुआ? प्लासी का युद्ध और एक सौ नब्बे सालकी परतन्त्रता फिर भी हम भारतीय नहीं सुधरे !
१५ अगस्त १९४७. आज़ादी की सुभह !
हिंदुस्तान यूं ही आज़ाद नहीं हुआ ! बल्कि आज़ादी की सुनहरी सुबह को पाने के लिए कई वीरों ने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया ! लेकिन जितनी खुशी हमें आज़ादी की हो रही थी, तो दूसरी तरफ एक ऐसी दर्द भरी दास्तां हमारी चौखट पर दस्तक दे चुकी थी ! वह थी भारत और पाकिस्तान (Pakistan) के बंटवारे की लकीर ! उस लकीर ने भारत और पाकिस्तान को दो अलग अलग भागों में बाँट दिया ! और यह एक ऐसी लकीर थी जिसका खामियाजा हज़ारों लोगों ने अपनी जान देकर चुकाया ! और करोड़ों लोग अपने बसे बसाई घर को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए !
कुछ महीने पहले जो देशवासी आपस में भाई की तरह मिलकर अंग्रेज़ी हुकूमत से लड़ रहे थे, वह बंटवारे की लकीर की वजह से एक दूसरे के खूनी दुश्मन वन चुके थे ! बंटवारे के इस विस्थापन में इंसानियत पूरी तरह खत्म हो गई !
बताते है , १५ अगस्त १९४७ से नौ दिन पहले साठ मुसलमानों का कतल अमृतसर में कर दिया गया ! इसके ठीक दो दिन बाद यानी ६ अगस्त १९४७ को ७४ सिखों का कतल लुधियाना फिरोजपुर रोड, जलालाबाद के पास कर दिया गया ! साल १९४७ के अगस्त महीने के पहले सप्ताह के भीतर ही खून खराबे से अमृतसर की ज़मीन लाल रंग ले चुकी थी ! और रोज़ तकरीबन सौ से अधिक लोग अपनी जान गंवा कर बंटवारे की कीमत चुका रहे थे ! उस दर्द भरी दास्तान को आज देखा तो नहीं जा सकता है, लेकिन उस पल को महसूस ज़रूर किया जा सकता है!
विभाजन की भयानक स्थिति !
आज़ादी से ४८ घंटे पहले यानी १३ अगस्त को लाहौर से अमृतसर के लिए एक ट्रेन (रेलगाड़ी) रवाना होती है ! लाहौर के मुगलपुरा स्टेशन से चली इस ट्रेन में अमृतसर एक भी ज़िंदा इंसान नहीं पहुंचा ! ४३ हिन्दू सिखों को ट्रेन पकड़ने से पहले ही मौत के घाट उतार दिया गया ! जब पंजाब बंटवारे की आग की लपटों में जल रहा था,उस वक्त दिल्ली रेलवे स्टेशन से पाकिस्तान स्पेशल ट्रेन, पाकिस्तान के लिए रवाना होती है ! जिसमें पाकिस्तान जानेवाले सरकारी कर्मचारी और उनके परिवार मौजूद थे !पाकिस्तान स्पेशल को दिल्ली से शानदार विदा किया गया !मगर जैसे ही यह ट्रेन पटियाला पहुँचती है, पहली बार किसी ट्रेन पर हमले शुरू हो गए और जिसमें एक महिला और एक बच्चे की मौत हो जाती है !और जब इस बात की खबर लाहौर और कराची पहुंची ,तो बदला ले गया अमृतसर आने वाली पहली ट्रेन से !
जब पाकिस्तान से वह ट्रेन अमृतसर रेलवे स्टेशन पर पहुंची, तो उसमें एक भी ज़िंदा इंसान नहीं था ! हर तरफ खून से लाल हुई ये ट्रेन अपने साथ हुए हादसे को बयां कर रही थी ! जहां भी नज़र जाए वहां लाशों का ढेर लगा हुआ था ! किसी का हाथ कटा हुआ था तो किसी का सिर ! इन बेकसूर लोगों के खून से रंगी ट्रेन यह बताने के लिए काफी थी कि बटवारा कितना दर्दनाक था ! १५ अगस्त की शाम पाकिस्तान से जो ट्रेन आई, अमृतसर के रेलवे स्टेशन पर, उस ट्रेन के अंदर सिर्फ और सिर्फ लाशें ही लाशें मौजूद थी ! और ट्रेन के आखिरी डिब्बे पर जो लिखा था उसे सब लोग देख कर हैरान हो गए ! उस ट्रेन के आखिरी डिब्बे पर एक पर्चा छिपा था ! जिस पर लिखा था पटेल और नेहरूके लिए आज़ादी का यह तोहफा है !
इसके बाद दोनों तरफ से आने वाले ट्रैनओं में लोगों को मारा जाने लगा ! जिसमें कहीं बेकसूर लोग बलि चढ़ गए !हज़ारों लोगों को रातों रात अपना घरबार छोड़कर भारत की और पलायन करना पड़ा ! जबकि भारत से भी कई हज़ारों लोगों को यहां सेअपना घर बार छोड़कर पाकिस्तान की तरफ जाना पड़ा ! कई बहन बेटियों की इज्जत लूट ली गई ! सरहदों को आपस में जोड़ने वाली रेल गाड़ियां हज़ारों लोगों के लिए ज़िंदा ताबूत वन गई ! यह बंटवारा इंसानी इतिहास का बहुत ही काला अध्याय माना जाताहै ! जिसके बारे में आज भी सुनते हैं तो शरीर मेंए क आद प्रकार की सिहरन पैदा हो जाती है !
१५ अगस्त १९४७ और मोहम्मद अली जिन्ना !
कहा जाता है, भारत और पाकिस्तान का बंटवारा करने में मोहम्मद अली जिन्ना का सबसे बड़ा रोल था !अगर मोहम्मद अली जिन्ना राजनीति में नहीं होते तो शायद कोई समझौता हो जाता !और आज का पाकिस्तान नहीं होता ! मोहम्मद अली जिन्ना भारत के पहले प्रधानमंत्री बनना चाहते थे ! फिर जिन्ना को यह लगा कि मैं पूरे भारत का प्रधानमंत्री तो नहीं बन सकता हूं, लेकिन पाकिस्तान का ज़रूर ! और फिर वही कुछ ऐसा ही हुआ ! ३ जून १९४७ यह वही तारीख है जिस दिन भारत को आज़ाद करने की तारीख को तय किया गया,और मोहम्मद अली जिन्ना की पाकिस्तान को अलग करने की भी ज़िद पूरी हो गई !
१५ अगस्त १९४७ और बंटवारा !
अब दिन बचे थे तिहत्तर ! इन दिनों में ज़मीन का बंटवारा, लोगों का बंटवारा, भारत में जमा रुपयों का बंटवारा, इसके साथ ही रिज़र्व बैंक (Reserve Bank) के खजाने में पड़ी सोने की ईंटें, सब कुछ बांट देना था ! जो कि इतना भी आसान नहीं था ! बंटवारे का यह काम दो अनुभवी अधिकारियों के हवाले किया गया ! इनका नाम था एच एम पटेल (H M PATEL) और दूसरे थे चौधरी मोहम्मद अली ! यह दोनों बंटवारे में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे थे ! इनके नीचे भी कई छोटे मोटे अधिकारी काम कर रहे थे, जो अलग अलग रिपोर्ट बना कर इन के पास भेज रहे थे ! इन्हीं रिपोर्ट के आधार पर ये दोनों अधिकारी बंटवारे की सिफारिश तैयार करते थे, जिन्हें आगे विभाजन परिषद के पास भेजा जाता था, जिस का अध्यक्ष था लॉर्ड मॉउन्टबेटन (Lord Mountbatten)!
१५ अगस्त १९४७ का बंटवारा कैसे हुआ ?
पैसों का बंटवारा कुछ इस तरह हुआ कि भारत की बैंकों में पड़ा पैसा, अंग्रेज़ों से मिलने वाले पैसे में सिर्फ १७.५% हिस्सा पाकिस्तान को दिया जाएगा ! और इसके बदले पाकिस्तान, भारत के ऋणका १७.५% हिस्सा चुकाएगा ! इसके अलावा भारत के सरकारी दफ्तरों में बड़ी चलसंपत्ति का अस्सी प्रतिशत हिस्सा भारत के लिए और बीस प्रतिशत हिस्सा पाकिस्तान के लिए तय किया गया ! फिर इन दफ्तरों में पड़ी हर उस चीज़ का बंटवारा किया गया ! मेज,कुर्सियां और टाइपराइटर ,यहाँ तक की गिनती करके भारत पाकिस्तान में बांट दिया गया ! इन सब चीज़ों को आपस में बांटने के लिए कई जगह लड़ाई तक हुई !
इसके अलावा भारत की पुस्तकालय (library) में बड़ी पुस्तकों को लेकर भी इन दो मुल्कों के बिच झगड़ा हुवा ! एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका को इस तरह भारत और पाकिस्तान में बांटा गयाकि पहला खंड भारत को दिया गया फिर दूसरा खंड पाकिस्तान को ! यहां तक कि लायब्ररी के बड़े शब्दकोश को भी आधाआधा फाड़ कर भारत पाकिस्तान में बांट दिया गया ! एक एक करके सभी चीज़ों को भारत और पाकिस्तान में बांट दिया गया ! लेकिन भारत के गुप्तचर विभाग को पाकिस्तान के साथ साझा नहीं किया गया ! इस पर भारत के ग़ृह विभाग ने दूरदर्शिता से फ़ैसला लिया कि भारत के गुप्तसर विभाग में कोई किसी तरह की कमी नहीं की जाएगी ! और उसके अफसर इस बात पर आड़े रहे कि इस विभाग की एक फाइल तो छोड़िए, शाही तक हम पाकिस्तान नहीं जाने देंगे !
इसके साथ ही पाकिस्तान के पास नोट को छापने के लिए प्रेस मशिन नहीं थी और उस वक्त भारत में भी नोट की छपाई के लिए एक ही प्रेस मशिन थी ! और भारत ने उस प्रेस मशिन को पाकिस्तान को देने से मना कर दिया ! जिसके बाद पाकिस्तानने काम चलाने के लिए भारतीय नोटों पर ही अपनी मोहर लगाकर करंसी (currency) के रूप में इस्तेमाल किया! इस के अलावा एक बंटवारा और अहम् था, वह थाभारतीय सेना का, जिसमें हिंदू मुस्लिम सिख सब थे ! भारतीय सेना के दो तिहाई सैनिक भारत के हिस्से में आने थे और एक तिहाई सैनिक पाकिस्तान के हिस्से में ! बाकी चीज़ों की तरह इन वीर योद्धाओं का भी बंटवारा तय था !
दोस्तों यह बंटवारा बेहद दर्द भरी कहानी लेकर आया था ! यह कहानी हम आज भी सुनते हैं तो हमारी आंखोंमें आंसू आ जाते हैं, जिसमें लाखों करोड़ों लोग अपना घर बार छोड़ने को मजबूर हो गए थे ! क्या यह बंटवारा सही था या गलत? अपनी प्रतिक्रिया हमें comment के माध्यम से ज़रूर बताएं !
भारत और पाकिस्तान को विभाजित करने वाली रेखा का सीमांकन किसने किया?
भारत और पाकिस्तान के बीच भौगोलिक सीमाओं का सीमांकन करने के लिए ब्रिटेन ने सीमा आयोग का अध्यक्ष सिरिल रैडक्लिफ (Cyril John Radcliffe) को नियुक्त किया था। १७ अगस्त १९४७ को सीमांकन रेखा प्रभावी होने हेतु प्रकाशित की गयी ! यह दृढ़ता से माना जाता है कि रैडक्लिफ को तत्कालीन भारत की संस्कृति के साथ-साथ भौगोलिक प्रतिष्ठानों के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी। उन्हें भारत के विभिन्न क्षेत्रों में धर्म आधारित जनसंख्या घनत्व के बारे में भी जानकारी नहीं थी। साथ ही, इतने बड़े क्षेत्र की सीमाएँ निर्धारित करने के लिए उसके पास बहुत कम समय था। माना जाता है कि इस गतिविधि को सर्वोत्तम तरीके से करने के लिए उस समय ४०००० रुपये का भुगतान निश्चित हुवा था।
बेहतर योजना बनाने के लिए सरदार पटेल ने रैडक्लिफ को पर्याप्त महत्वपूर्ण जानकारी दी थी। हालाँकि दुर्भाग्य से रैडक्लिफ से वो ठीक से समझा नहीं गया।हालाँकि सीमांकन के मापदंडों को ९ और १२ अगस्त को अंतिम रूप दिया गया था, लेकिन गोपनीयता और शांति बनाए रखने के लिए, इसे वास्तविक विभाजन के बाद प्रकाशित किया गया था। कई लोगों को कई दिनों तक अपनी गृह भूमि के बारे में पता नहीं चल पाता था ! ऐसा कहा जाता है कि, रैडक्लिफ इस काम के प्रति बहुत भयभीत थे और उन्होंने अपने प्रस्थान के बारे में सभी को बताए बिना १५ अगस्त १९४७ को ही भारत छोड़ दिया था। भारत छोड़ते समय उसने वे सभी दस्तावेज/जानकारी/डेटा जला दिए थे जिनके आधार पर उसने सीमांकन किया था, ताकि कोई सुराग न मिल सके कि उसने विभाजन कैसे किया था। दो सीमा आयोगों के संयुक्त अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति हमेशा एक बड़ा प्रश्नचिह्न रही है।
भारत और पाकिस्तान को विभाजित करने वाली भू-राजनीतिक सीमा को अब रेडक्लिफ रेखा के नाम से जाना जाता है। रेखा के पश्चिमी हिस्से को भारत-पाकिस्तान सीमा और इसके पूर्वी हिस्से को भारत-बांग्लादेश सीमा के रूप में जाना जाता है ! भारत-पाक सीमा दुनिया की सबसे कड़ी सुरक्षा वाली अंतरराष्ट्रीय सीमाओं में से एक है ! २९०० किलोमीटर लंबी सीमा पर हिलहाल केवल पांच क्रॉसिंग पॉइंट हैं ! वाघा बॉर्डर : यह भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे प्रसिद्ध और सबसे प्रमुख सीमा पार बिंदु है ! यह स्थान अमृतसर (हिन्दुस्थान) से ३२ किलोमीटर और लाहौर (पाकिस्तान) से २४ किलोमीटर दूर स्थित है !
१४ अगस्त पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस क्यों है, १५ अगस्त क्यों नहीं?
यह ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान स्वतंत्र भारत से अलग हुआ है न कि ब्रिटिश शासन से अलग-थलग स्वतंत्र देश के रूप में। तो, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस १५ अगस्त ही है। हालाँकि १४ अगस्त से जुड़े कुछ अलग तथ्य और सिद्धांत हैं, आइए उन्हें भी समझते हैं।
पहला तथ्य यह है कि, लॉर्ड माउंटबेटन दोनों देशों के स्वतंत्रता समारोह में भाग लेने के इच्छुक था और समय बचाने और आसानी के लिए १४ अगस्त को सभी प्रशासनिक विवरण पाकिस्तान में स्थानांतरित कर दिए थे। यह मुख्य रूप से, किसी अन्य दिन यानी, १५ अगस्त को भारत की स्वतंत्रता का प्रबंधन करने की उनकी सुविधा के लिए था। दूसरा तथ्य – १४ अगस्त १९४७ को रमज़ान का २७ वां दिन था, जिसे इस्लाम धर्म में पवित्र दिन माना जाता है। कई लोगों के अनुसार ये दो तथ्य हैं जिनके कारण पाकिस्तान १४ अगस्त को आजादी का जश्न मनाता है।
आइये कुछ विश्वसनीय तथ्यों के आधार पर एक और तथ्य को समझते हैं। भारत का समय क्षेत्र पाकिस्तान से आधे घंटे आगे है। भारत को स्वतंत्रता १५ अगस्त १९४७ की रात 12 बजे यानी ००:०० समय / बजे हासिल हुई है। इस तरह जब पाकिस्तान को भारत से आजादी मिली तो उस समय १४ अगस्त १९४७ की रात २३:३० बजे यानी रात के ११:३० का समय था। क्योंकि पाकिस्तान आज़ाद भारत का भाग था ! १९७१ में पूर्वी पाकिस्तान को आजादी मिली जो आज का बांग्लादेश है। और पश्चिमी पाकिस्तान, जो आज का पाकिस्तान है, आज़ाद हो गया। यही कारण है कि पाकिस्तान १४ अगस्त १९४७ को अपनी आजादी का जश्न मना रहा है, भारत के स्वतंत्रता के एक दिन अग्रिम !
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१५ अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर फिल्मों की सूची जो आपके अंदर देशभक्ति जगा सकती हैं !
१. उरी :- विक्की कौशल, कीर्ति कुल्हारी और यामी गौतम अभिनीत, आदित्य धर की उरी आपके अंदर राष्ट्रवाद की भावना पैदा करेगी। २०१९ की फिल्म सर्जिकल स्ट्राइक पर आधारित है जो २०१६ में कश्मीर के उरी में किए गए हमले के प्रतिशोध के रूप में पाकिस्तान में की गई थी।
२. लक्ष्य :- फरहान अख्तर द्वारा निर्देशित यह फिल्म १९९९ के कारगिल युद्ध के दौरान की घटनाओं पर आधारित है। रितिक रोशन ने मुख्य भूमिका निभाई, जबकि प्रीति जिंटा को उनके साथ जोड़ा गया था। इसमें अमिताभ बच्चन भी अहम भूमिका में नजर आए थे !
३. चक दे इंडिया :- शिमित अमीन की फिल्म एक पूर्व हॉकी कप्तान कबीर खान की कहानी बताती है, जिसका किरदार शाहरुख खान ने निभाया है, जो गद्दार कहे जाने के बावजूद विश्व चैंपियनशिप के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम को प्रशिक्षित करता है और टीम वूमेन हॉकी वर्ल्ड कप जीत लाती है !
४. राज़ी :- अपने देश को हर चीज़ से ऊपर रखें, जिसमें आप भी शामिल हैं, आलिया भट्ट अभिनीत फिल्म राज़ी यही दर्शाती है। हरिंदर सिक्का के उपन्यास कॉलिंग सहमत पर आधारित यह फिल्म दिखाती है कि कैसे १९७१ में भारत-पाक युद्ध से पहले एक भारतीय जासूस (भट्ट) एक पाकिस्तानी सेना अधिकारी (विक्की कौशल) से शादी करता है। फिल्म का गाना ‘ऐ वतन’ गर्व और देशभक्ति की भावना, जोश जगा देगा।
५. रंग दे बसंती :- आमिर खान की मुख्य भूमिका वाली फिल्म रंग दे बसंती ने लाखों दिल जीते। राकेश ओम प्रकाश मेहरा की फिल्म में सोहा अली खान, आर. माधवन, शरमन जोशी, कुणाल कपूर और ऐलिस पैटन सहित कई शानदार कलाकार थे।
६. सरदार उधम सिंह :- विक्की कौशल अभिनीत सरदार उधम सिंह एक कम-ज्ञात भारतीय क्रांतिकारी की कहानी बताती है, जिसने जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला लेने के लिए पंजाब के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ’डायर की हत्या कर दी थी।
७. ८३ :- कपिल देव के नेतृत्व वाली भारत की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम पर आधारित, जिसने १९८३ क्रिकेट विश्व कप जीता था, इस सत्यता पर आधारित स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म है ! रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और अन्य कलाकार, कबीर खान द्वारा लिखित और निर्देशित है ! रिलायंस एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित है।
८. १९७१ :- के भारतीय युद्धबंदियों के एक समूह को पाकिस्तान की रणनीतिक स्थिति और मीडिया की कुटिल चाल के बारे में पता चला तो उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालने का फैसला किया और भाग निकले ! देशभक्ति की रोमांचकारी फिल्मों में से एक! मुख्य भूमिका मनोज बाजपेयी ( मनोज बाजपेयी) / रवी किशन (Ravi Kishan)!
९. दीवार :- यह फिल्म 2004 में रिलीज हुई थी। इसमें भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों के एक समूह को पकड़ लिया गया है। यह फिल्म उन सभी बंदियों के लिए एक बचाव अभियान है। इस रोमांचक फिल्म में अमिताभ बच्चन, संजय दत्त, अक्षय खन्ना, के के मेनन, अमृता राव, तनुजा और कई अन्य लोग देखे जा सकते हैं।
१०. १९७१ के वास्तविक जीवन के भारत-पाकिस्तान युद्ध पर आधारित और लोंगेवाला की लड़ाई की सच्ची घटनाओं पर आधारित, बॉर्डर १९९७ में रिलीज़ हुई थी और इसका निर्देशन जेपी दत्ता ने किया था। लोंगेवाला क्षेत्र में १२० भारतीय सैनिकों का एक दल पूरी रात अपनी चौकी की रक्षा करता है जब तक कि उन्हें अगली सुबह भारतीय वायु सेना से सहायता नहीं मिल जाती। इस फिल्म में सनी देओल, अक्षय खन्ना, जैकी श्रॉफ, सुनील शेट्टी, पुनीत इस्सर, शरबानी मुखर्जी, पूजा भट्ट, सुदेश बेरी और कई अन्य कलाकार थे।
९. दीवार :- यह फिल्म 2004 में रिलीज हुई थी। इसमें भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों के एक समूह को पकड़ लिया गया है। यह फिल्म उन सभी बंदियों के लिए एक बचाव अभियान है। इस रोमांचक फिल्म में अमिताभ बच्चन, संजय दत्त, अक्षय खन्ना, के के मेनन, अमृता राव, तनुजा और कई अन्य लोग देखे जा सकते हैं।
१०. १९७१ के वास्तविक जीवन के भारत-पाकिस्तान युद्ध पर आधारित और लोंगेवाला की लड़ाई की सच्ची घटनाओं पर आधारित, बॉर्डर १९९७ में रिलीज़ हुई थी और इसका निर्देशन जेपी दत्ता ने किया था। लोंगेवाला क्षेत्र में १२० भारतीय सैनिकों का एक दल पूरी रात अपनी चौकी की रक्षा करता है जब तक कि उन्हें अगली सुबह भारतीय वायु सेना से सहायता नहीं मिल जाती। इस फिल्म में सनी देओल, अक्षय खन्ना, जैकी श्रॉफ, सुनील शेट्टी, पुनीत इस्सर, शरबानी मुखर्जी, पूजा भट्ट, सुदेश बेरी और कई अन्य कलाकार थे।
११. गदर एक प्रेम कथा :- ये बंटवारे के दौरान की प्रेम कहानी है. इसमें विभाजन से लेकर दोनों देशों के लोगों के बीच धार्मिक झगड़े, ट्रेन नरसंहार सहित महिलाओं के साथ भयावह घटनाएं दिखाई गई हैं! गानों के मामले में भी ये २००१ में रिलीज़ फिल्म काफी हिट रही थी! सनी देओल, अमीषा पटेल, अमरीश पुरी ने मुख्य भूमिका निभाई थी।
१२. गदर २ :- यह फिल्म गदर – एक प्रेम कथा की अगली कड़ी मानी जा रही है! १९७१ के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, तारा सिंह अपने बेटे चरणजीत को घर वापस लाने के लिए पाकिस्तान लौट आए। इस फिल्म की रिलीज डेट ११ अगस्त २०२३ है। सनी देओल, अमीषा पटेल, उत्कर्ष शर्मा, सिमरत कौर, मनीष वाधवा और अन्य ने अपनी भूमिका खूबसूरती से निभाई है।
१५ अगस्त १९४७ से अब तक भारत में कौन-कौन से लोग प्रधानमंत्री पद पर रह चुके हैं?
क्रम | प्रधान मंत्री का नाम | दिनांक सहित अवधि | टिप्पणी |
१. | श्री.जवाहरलाल नेहरू | १५ अगस्त १९४७ से २७ मई १९६४ तक. १६ साल, २८६ दिन | भारत के पहले प्रधानमंत्री और सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले व्यक्ति। |
२. | श्री.गुलजारी लाल नंदा | २७ मई १९६४ से ९ जून १९६४ तक. १३ दिन. | पहले कार्यवाहक प्रधानमंत्री, सबसे कम समय तक प्रधानमंत्री रहे। |
३. | श्री लाल बहादुर शास्त्री | ९ जून १९६४ से ११ जनवरी १९६६ तक. १ वर्ष, २१६ दिन. | इन्होंने १९६५ में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय “जय जवान जय किसान” नारा दिया था। |
(२). | श्री.गुलजारी लाल नंदा | ११ जनवरी १९६६ से २४ जनवरी १९६६ तक. १३ दिन. | सबसे कम समय तक प्रधानमंत्री रहे। |
५. | इंदिरा गांधी | २४ जनवरी १९६६ से २४ मार्च १९७७ तक. ११ साल, ५९ दिन | भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री। |
६. | श्री मोरारजी देसाई | २४ मार्च १९७७ से २८ जुलाई १९७९ तक. २ साल, १२६ दिन | सबसे वृद्ध (81वर्ष) प्रधानमंत्री और पद से इस्तीफ़ा देने वाले पहले प्रधानमंत्री। |
७. | श्री. चरण सिंह | २८ जुलाई १९७९ से १४ जनवरी १९८० तक. १७० दिन | अकेले ऐसे पीएम जिन्होंने संसद का सामना नहीं किया। |
(४.) | इंदिरा गांधी | १४ जनवरी १९८० से ३१ अक्टूबर १९८४ तक. ४ साल, २९१ दिन | प्रधानमंत्री पद दूसरी बार संभालने वाली पहली महिला। इनके अंगरक्षक ने ही इनपे गोलियां चलायी थी ! |
९. | श्री. राजीव गांधी | ३१ अक्टूबर १९८४ से २ दिसंबर १९८९ तक. ५ साल, ३२ दिन | सबसे युवा प्रधानमंत्री (40 वर्ष)। दुर्भाग्य से एक मानव बम विस्फोट में इनका देहांत हुवा ! |
१०. | श्री. विश्वनाथ प्रताप सिंह | २ दिसंबर १९८९ से १० नवंबर १९९० तक. ३४३ दिन | पहले प्रधानमंत्री जिन्होंने अविश्वास प्रस्ताव पास होने से पद छोड़ा था। |
११. | श्री. चंद्रशेखर सिंह | १० नवंबर १९९० से २१ जून १९९१ तक. २२३ दिन. | समाजवादी जनता पार्टी से सम्बंधित। |
१२. | श्री. पी. वी. नरसिम्हा राव | २१ जून १९९१ से १६ मई १९९६ तक. ४ साल, ३३० दिन. | आज़ादी के बाद दक्षिण भारत से पहले प्रधानमंत्री ! |
१३. | श्री.अटल बिहारी वाजपेयी | १६ मई १९९६ से १ जून १९९६ तक. १६ दिन. | केवल १ वोट से सरकार गिरी थी। भारतीय जनता पार्टी से सम्बंधित थे। |
१४. | श्री. एच. डी. देव गौड़ा | १ जून १९९६ से २१ अप्रैल १९९७ तक. ३२४ दिन. | जनता दल से सम्बंधित थे। |
१५. | श्री. इंदर कुमार गुजराल | २१ अप्रैल १९९७ से १९ मार्च १९८८ तक. ३३२ दिन. | जनता दल से सम्बंधित थे। |
(१३). | श्री.अटल बिहारी वाजपेयी | १९ मार्च १९९८ से २२ मई २००४ तक. ६ साल, ६४ दिन. | पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री जिन्होंने कार्यकाल पूरा किया। |
१७. | श्री. मनमोहन सिंह | २२ मई २००४ से २६ मई २०१४ तक. १० साल, २ दिन. | भारत के सबसे शिक्षित प्रधान मंत्री। साथ ही वह दुनिया के सबसे पढ़े-लिखे प्रधानमंत्री भी थे। |
१८. | श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी | २६ मई २०१४ से अब तक | दूसरे गुजराती प्रधानमंत्री, पहले मोरारजी थे। चौथे प्रधानमंत्री हैं, जो कि लगातार दूसरा कार्यकाल पूरा करेंगे। |
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सूचना श्रेय:- Credits.
१. इंटरनेट / IMAGE PHOTO CREDIT GOOGLE.
२. HISTORY TELEVISION
३. THE KNOWLEDGE
४. https://www.jagranjosh.com/
५. Vidhik Shiksha.
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