चंद्रयान 3 का अभियान और चाँद पर उतरने की पूरी प्रक्रिया |

चंद्रयान-3 -0
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१४ जुलाई २०२३। समय ठीक २.३५ ! भारतीय मानक समय ! आंध्र प्रदेश, श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र ! चंद्रयान 3, करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों और सपनों की पोटली बांध कर चांद के दक्षिणीध्रुव पर उतरने के लिए निकला है ! (Chandrayaan-3) ! पिछले एक महीने से हर एक भारतीय इस बात का इंतज़ार कर रहा है कि कब हमारा चंद्रयान 3, चांद पर पहुंचेगा ! २३ August २०२३, बुधवार के दिन, समय ५.४७ पर वह पल आने वाला है , जिसका इंतज़ार हम करोड़ों भारतीय कर रहे हैं ! यानी हमारा चंद्रयान 3 चांद की सतह (surface) पर उतरने वाला है ! चंद्रयान 3 के लिए चांद पर उतरने वाले आखिरी १५ मिनट बेहद महत्वपूर्ण है !

इस्रो (ISRO) के लिए इस मिशन (mission) का यह बेहद ही कठिन समय होगा ! क्योंकि जब लैंडर (lander) को अपने इंजन (Engines) को सही समय और सही ऊंचाई पर फायर (fire) करना होता है ! सही मात्रा में इंधन का उपयोग करना होता है ! चंद्रमा का सटीक(accurate), स्कैन (scan) करना होता है ! चांद की सतह (surface) की पहाड़ियों और गड्ढोंका सही अनुमान लगाना पड़ता है ! यह पूरी प्रक्रिया लैंडर अपने से करता है ! वैज्ञानिकों का इस पूरी प्रक्रिया में कोई खास कंट्रोल (control) नहीं होता !

जिसका अर्थ है कि इस्रो के वैज्ञानिक पृथ्वी से लैंडर मार्गदर्शन करने के लिए बहुत कुछ नहीं कर सकते! यहाँ पर एक छोटी सी गलती पूरे मिशन को खराब कर सकती है ! जैसा आपको पता होगा कि चंद्रयान २, इन्हीं आखिरी पंद्रह मिनट में क्रैश (crash) हो गया था! यानी उतरने वाले वो पंद्रह मिनट, चंद्रयान ३ लिए भी बेहद महत्वपूर्ण होंगे! आज इस ब्लॉग में हम जानेंगे, चांद की सतह पर चंद्रयान ३ किस प्रक्रिया का इस्तेमाल करके उतरेगा ! और इन अंतिम पंद्रह मिनट में क्या क्या होने वाला है?

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Table of Contents

चंद्रयान ३ के प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल (Propulsion Module & Lander Module)

हमें आशा है कि यह पूरा ब्लॉग ध्यान से पढ़ने के बाद आपका इस अभियान तथा टॉपिक (topic) से जुड़ा कोई सवाल नहीं रहेगा! तो चलिए जानते हैं आसान हिंदी भाषा में विस्तार से ! १७ अगस्त २०२३ को ही चंद्रयान ३ को चांद की सौ किलोमीटर (Kilo Meter) ऊंचाई वाली गोलाकार कक्षा में शामिल डाला गया है ! १७ अगस्त २०२३ को ही प्रोपल्शन (प्रणोदन) मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल (Propulsion Module & Lander Module) भी अलग हो चुके है ! अलग होने से पहले दोनों मॉड्यूल चन्द्रमा के चारों तरफ सौ गुना सौ किलोमीटर ( १०० * १०० किमी ) की दूरी वाले ऑर्बिट (Orbit) में चक्कर लगाए है ! इसके बाद प्रोपल्शन (प्रणोदन) मॉड्यूल (Propulsion Module) चांद से सौ किमी ऊपर ही चक्कर लगा रहा है !

अब लैंडर मॉड्यूल (Lander Module) चांद पर उतरने के लिए कदम आगे बढ़ाएगा ! यानी प्रोपल्शन (प्रणोदन) मॉड्यूल को लैंडर (lander) यही छोड़ देगा ! सिर्फ अब लैंडर मॉड्यूल चांद पर उतरने के लिए जाएगा ! १८ और २० अगस्त २०२३ को डी-ओर्बटिंग (Deorbiting) हो चुकी है ! यानी चांद के ऑर्बिट (orbit) की दूरी को कम किया गया है ! लैंडर मॉड्यूल सौ गुना तीस किलोमीटर (१००*३०) के ऑर्बिट में जा चूका है ! इसका मतलब है कि लैंडर मॉड्यूल इस ऑर्बिट में जाने के बाद चंद्रमा से सबसे दूर सौ किलोमीटर और सबसे नज़दीक ३० किलोमीटर दूर है ! इसके बाद लैंडर मॉड्यूल तीन दिनों तक इसी ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है ! अब आपका सवाल हो सकता है कि जब मॉड्यूल तीन दिन पहले पहुंच गया है, तो इसी दिन लैंडिंग क्यों नहीं करेगा?

चंद्रयान ३ सॉफ्ट लैंडिंग (soft landing) की प्रक्रिया !

तो उसका जवाब है २० तारीख को लैंडर मॉड्यूल चांद के पास पहुँच गया है, लेकिन इस समय चाँद पर रात का समय है ! चंद्रयान 3 को चाँद के रात में काम करने के लिए डिज़ाइन (design) नहीं किया गया है ! २३ अगस्त २०२३ को चांद की सुबह होने वाली है ! इसलिए लैंडर मॉड्यूल इसी ऑर्बिट में तीन दिन तक चक्कर लगा रहा है ! २३ अगस्त २०२३ को जैसे ही घड़ी में ५.३२ का समय होगा ,शुरू होगी सॉफ्ट लैंडिंग (soft landing) की प्रक्रिया ! सॉफ्ट लैंडिंग का मतलब है, लैंडर को बिना कोई नुकसान पहुंचाए नियंत्रित लैंडिंग ! हमारा चंद्रयान ३, चांद पर उतरने के लिए सतह की तरफ बढ़ने लगेगा ! चांद पर उतरने की प्रक्रिया को आप पहले संक्षिप्त में समझिए !

ऊंचाई (Altitude) १०० किमी। यह लैंडिंग प्रक्रिया का पहला चरण है ! यहां से चंद्रयान ३ उतरने के लिए चांद की लोअर ऑर्बिट में आएगा ! ऊंचाई ३० किलोमीटर – दूसरा चरण ! इतनी ऊंचाई पर, लैंडर मॉड्यूल के दोनों Thrusters (ट्रस्टर्स ) इंजन शुरू होंगे ! और स्पीड छह हज़ार किमी, प्रतिघंटा से धीरे धीरे कम होना शुरू होगी ! ऊंचाई १०० मीटर – तीसरा चरण ! इतनी ऊंचाई पर लैंडर मॉड्यूल चांद की सतह को स्कैन करना और फोटो लेना शुरू करेगा ! Slowed Descent – स्लोड डिसेंट – धीमी गति से उतरना – चौथा चरण ! यहां चांद की सतह से ऊंचाई ना के बराबर रहेगी और स्पीड़ कम होकर 0 किमी प्रति घंटा तक आ जाएगी ! Takedown – टेक डाउन – नीचे करें -यह लैंडिंग प्रक्रिया का पांचवा और आखिरी चरण हैं ! यहाँ हमारा चंद्रयान 3 चांद की सतह पर होगा !

चंद्रयान ३ और भारत के लिए उपलब्धि !

अगर इस्रो इस मिशन को सफलतापूर्वक एक्सीक्यूट कर पाता है और अगर चंद्रयान ३ लैंडर के जरिये, चाँद के साउथ पोल (SOUTH POLE ) की जाँच जल्द से जल्द शुरू होती है , तो भारत वो पहला देश बन सकता है , जो पृथ्वी के जनम की रियल स्टोरी प्रक्टिकली प्रूव कर दिखा पायेगा ! ये मिशन सिर्फ इंटरेस्टिंग नहीं बल्की चैलेंजिंग भी है !क्यूंकि चाँद पर सॉफ्ट लैंडिंग करना , मार्स (MARS) पर सॉफ्ट लैंडिंग करने से भी ज्यादा मुश्किल है !
इसरो द्वारा चंद्रयान 3 लॉन्च वीडियो देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें।

मंगल बनाम चंद्रमा पर लैंडिंग के बीच अलग-अलग स्थितियां !

चंद्रयान ३ और खड्डे !

मार्स पर चाँद के कम्पेरिज़न में ३३ टाइम्स ज्यादा क्रेटर्स (CRATERS ) याने “खड्डे” है ! पूरी दुनिया में आज की तारीख में लगभग ७७ गवरमेंट स्पेस एजेन्सीज़ है ! इसमें से सिर्फ ११ देशोंने ही सक्सेस्स्फुल्ली चाँद मिशन किए है ! उसमें से भी सिर्फ ३ देश – अमेरिका, रशिया और चायना – जो अब तक लुनार सरफेस (LUNAR SURFACE) पर सॉफ्ट लैंडिंग कर पाए है ! जबकि मार्स तो ज्यादा दूर है ! जिस ५ देशोंने अभी तक मार्स मिशन किए है , उसमे से २ देशोंने सक्सेस्स्फुल्ली लैंडिंग की है ! इसका मतलब मार्स पर सक्सेसफुल लैंडिंग का रेट है ४०% और लूनर सरफेस पर सिर्फ २७% ! अब ऐसा इसलिए है की जहाँपर , एक एवरेज स्पेसक्राफ्ट को मार्स पर पहुंचने में ७ महिने लगते है , वही पर चाँद पर पहुंचने के लिए सिर्फ ३ दिन लगते है ! मूल रूप से, अंतरिक्ष यान की गति के आधार पर, अंतरिक्ष यान के उतरने के समय का अनुमान लगाया जाता है !

चंद्रयान ३, दूरी और स्थानीय वातावरण !

मतलब, मान लीजिए कि यदि अंतरिक्ष यान की गति २०००० किलोमीटर प्रति घंटा है, तो उसे चंद्रमा पर उतरने के लिए सिर्फ तीस मिनट है।अन्यथा, उस अंतरिक्ष यान का खेल ख़त्म ! यानी कि स्पेस यान का पथ परिवर्तन करो या ना करो, वो क्रैश होने ही वाला है। सिर्फ सॉफ्ट लैंडिंग की समस्या खत्म होने की बात नहीं है ! क्योंकि अगर मान लिया जाए कि इस समय सीमा में “टच डाउन” स्टार्ट भी कर दिया जाए, तो बाकी चीजें भी है जो लैंडर्स में दिक्कत पैदा करेंगी ! जैसे कि उस लैंडिंग साइट का स्थानीय वातावरण। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मंगल ग्रह पर वायुमंडल है, जो घर्षण पैदा करता है ! जिस से, लैंडर की गति धीमी होती है ! और इसलिए मंगल ग्रह पर उतरने के लिए Thrusters (ट्रस्टर्स ) के साथ-साथ पैराशूट का भी उपयोग किया जा सकता है ! चंद्रमा पर ऐसा कोई वातावरण नहीं होता है ! कारण से पूरा का पूरा लोड Thrusters (ट्रस्टर्स ) पर आ जाता है ! और यही Thrusters (ट्रस्टर्स ) चाँद की भूमि में समस्या पैदा करते हैं !

चंद्रयान ३ और चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव का तापमान !

क्योंकि यह अतिरिक्त शक्तिशाली Thrusters (ट्रस्टर्स), जैसे कि चंद्रमा की सतह पर जमीन पर उतरने की कोशिश करते हैं, चंद्रमा की निचली मिट्टी का प्रवाह, नाजुक सेंसर में प्रवेश का खतरा बढ़ जाता है, जो मिशन पर पानी फेर सकता है। अब इन उथल-पुथल के ऊपर, पिछले बार चंद्रयान २ को, जहां पर उतारा जानेवाला था, वह क्षेत्र चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव था। अब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विशेष रूप से, पूर्व चंद्रमा की तुलना में अधिक क्रेटर, घाटियां और पहाड़ है ! इसलिए लैंडिंग के लिए एक स्वीट स्पॉट लक्ष्य करना और सटीक रूप से एक ही स्वीट स्पॉट पर लैंडर को, पृथ्वी से नियंत्रण करके, चाँद की जमीन पर उतारना अपने आप में ही एक काफी मुश्किल !

इसके अलावा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने पर वक्त के तापमान में भारी उतार-चढ़ाव होता है। क्योंकि चंद्रमा को अपना एक चक्कर पूरा करने में लगभग २८ दिन लगते हैं। जिस से, दो सप्ताह तक, सूरज की तरफ की साइड का तापमान, १२० डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। और इसी तरह दूसरी तरफ का तापमान माइनस २३० डिग्री सेल्सियस तक रहता है! और दक्षिणी ध्रुव इन दोनों क्षेत्र का जंक्शन है ! अब अगर लैंडर अचानक से दक्षिणी ध्रुव पर उतरा, तो तापमान में अंतर की वजह से एक थर्मल शॉक जनरेट हो सकता है ! और अगर थर्मल शॉक जनरेट हुआ, तो लैंडर भी आसानी से टूट जाएगा।

संचार एवं कनेक्शन संबंधी चुनौतियाँ !

आपको शायद पता नहीं होगा, चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर लगभग 24*7 अँधेरा ही रहता है! जब दिन भी होता है तो केवल क्षितिज पर ही सूर्य दिखाई देता है ! कुछ क्षेत्रों ने तो, चंद्रमा के निर्माण से लेकर अब तक सूर्य को देखा ही नहीं है! अब ऐसे में लैंडर के सोलर पैनल कैसे काम करेंगे? लैंडिंग साइड का पता लगाने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला, ग्लास से सेंसर खराब होना, चंद्र दक्षिणी ध्रुव का कठिन तापमान और सतह का मार, संचार और कनेक्टिंग साधनों में दोष निर्माण होना , इत्यादि कारण से चाँद पर सॉफ्ट लैंडिंग विफल होना की संभावना ज्यादा होती है !

चंद्रयान ३ के लिए इसरो / इस्रो की अनोखी रणनीति !

अब चंद्रयान ३ में आने वाली समस्याओं को संभालने के लिए इसरो / इस्रो ने एक ऐसी अनोखी रणनीति बनाई है ! अब की बार सॉफ्ट लैंडिंग में आने वाली समस्याओं के आसार ना के बराबर हैं ! उन्होंने सॉफ्ट लैंडिंग की कठिनाई को हल करने के लिए चंद्रयान ३ के लैंडर के लिए एक ऐसा स्थान खोजा है, जहां न तो क्रेटर हैं , न ही बेहद असमान तापमान है ! पहाड़ एक समान सतह से भरे हुए हैं ! इसके अलावा, जब चौदह जुलाई को चंद्रयान ३ लॉन्च हुवा, तब उसने सबसे पहले, पांच बार पृथ्वी का चक्कर लगाकर, अपनी कक्षा का खुद पता लगाया और वो एक इष्टतम गति तक पहुंच गया ! इस से हुवा ये, कि वो चांद की तरफ किसी स्लिंग शॉट की तरफ उड़ गया ! साथ में, इस वजह से, चंद्रयान ३ ने, मिशन की प्रारंभिक गति में अधिक ईंधन का उपयोग नहीं किया है ! यही ईंधन लैंडिंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है !

इसके बाद जब लैंडिंग का समय आयेगा, तब भी इसरो ने एक अनोखा प्लान खोजा है। इसरो पारंपरिक तरीकों से सीधे चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग नहीं करेगा ! ! क्योंकि यह Thrusters (ट्रस्टर्स) बहुत अधिक धूल उड़ा सकते हैं और उनके टचडाउन सेंसर खराब हो सकते हैं ! तो इसके बजाय, चंद्रयान ३, अपनी गति को लैंडिंग से पहले काफी कम कर देगा और साथ ही लैंडिंग साइट को एक बार फिर से ठीक से निरीक्षण करने के लिए, चंद्रमा की कक्षा के चारों ओर चक्कर लगाएगा ! यानी कुल मिलाकर सिर्फ इन दो चरणों में, यानी कि ऑर्बिटल मनुवर (manoeuvre) और परफेक्ट लैंडिंग स्पॉट ढुंडके से, चंद्रयान ३, सॉफ्ट लैंडिंग विफलता के पहले तीन कारणों से निपट लेगा !

चंद्रयान ३ के लिए इसरो / इस्रो की सिग्नल रिले की रणनीति !

इसके बाद रही बात चौथी वजह की जो है कम्युनिकेशन इश्यू ! उसके लिए चंद्रयान ३, चांद की सतह की जांच अपने रोवर से करने वाला है, अपने लैंडर से नहीं! साथ में वह अपने लैंडर को धूप में खड़ा करके, रोवर और पृथ्वी के बिच सिग्नल रिले करने वाला है!

चंद्रयान ३ का डिजाइन !

चंद्रयान ३ और चंद्रयान २ के आर्किटेक्चर की तुलना करें, तो इसके डिज़ाइन में कोई बड़ा अंतर नहीं है। इसमें भी दो मॉड्यूल हैं। अनुपात मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल। औसत वजन एक टाटा हैरियर या ऐसी किसी SUV जितना है। और कुल मिलाकर पूरे अंतरिक्ष यान का वजन कुछ ३९०० किलो, यानि कि एक हाथी जितना ! बस सिर्फ फर्क इतना है कि इसमें ऑर्बिटर नहीं है, जो चंद्रमा की परिक्रमा करके स्कैन करेगा ! क्योंकि चंद्रयान २ का ऑर्बिटर हमारे लिए यह कार्य पहले से ही कर रहा है ! और इसी लिए चंद्रयान ३ में सिर्फ थोड़े बहुत ही मॉडिफिकेशन्स किए गए हैं! और यही वजह है कि आखिरकार चंद्रयान ३, कोरोना संकट और उसके कारण वैश्विक शटडाउन के बावजूद भी महज चार साल में लॉन्च के लिए पूरी तरह से तैयार हो गया !

अब एक बार यह चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतर गया तो उसके बाद लैंडर में सिर्फ रोवर को तैनात किया जाएगा ! जो तुरंत लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप Laser Induced Breakdown Spectroscope (LIBS) यानी एलआईबीएस से चंद्रमा की मिट्टी में छिपे रासायनिक घटकों को उत्तेजित कर देगा ! इससे उन रसायनों में से अलग-अलग तरंगें निकलेंगी ! जिसका रोवर पर लगे अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) Alpha Particle X-Ray Spectrometer (APXS) पता लगाकर विश्लेषण करेगा ! इससे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मिट्टी की संरचना क्या है यह पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा, लैंडर अपनी लैंडिंग साइड से ही चंद्रमा पर वायुमंडल कितना पतला है और इतना पतला क्यों है कि इन रहस्यों को भी डिकोड करने की कोशिश करेगा ।

चंद्रयान ३ और इसरो डेटा कनेक्टिविटी !

चंद्रयान ३ को लेकर एक बड़ी उपलब्धि डेटा ट्रांसपोर्ट से भी जुड़ी है ! पहले इसरो को डेटा रिले के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता था। यह डेटा चोरी के लिए एक बड़ी चिंता और कारण था। हालाँकि चंद्रयान ३ सीधे इंडिया डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) से जुड़ा है। डेटा सुरक्षा के लिए यह एक बड़ी सफलता है !

चंद्रयान ३ लैंडिंग के बारे में अधिक विस्तार से !

जब २३ अगस्त २०२३ के दिन ५.३२ पर चंद्रयान ३ उतरने लगेगा, तो चंद्रयान तीन के लैंडर मॉड्यूल की ऊंचाई, Altitude १०० किमी; यानी चांद से १०० किमी ऊपर होगी और यह चांद की लोअर ऑर्बिट में प्रवेश (enter) करेगा ! इस समय इसकी स्पीड़ छह हज़ार किमी प्रति घंटा से अधिक होगी ! कुछ मिनट के बाद ही लैंडर, Attitude ३० किमी; पर होगा ! यानी इस समय हमारा चंद्रयान ३ का लैंडर मॉड्यूल चांद से सिर्फ तीस किमी ऊपर होगा ! सबसे पहले लैंडर मॉड्यूल के दोनो Thrusters (ट्रस्टर्स ) इंजन शुरू होंगे !अगर ये दोनों इंजन काम नहीं कर हैं तो इसमें बैकअप के लिए २ एक्स्ट्रा इंजन और लगाए गए हैं ! नीचे उतारने के लिए Thrusters (ट्रस्टर्स ) इंजन इसलिए ऑन किए गए हैं.क्योंकि यह (Powered Breaking Stage) – संचालित ब्रेकिंग चरण है ! यानी इन दोनों इंजन के माध्यम से लैंडर मॉड्यूल की स्पीड़ को कम किया जाएगा !

इस समय चंद्रयान ३ के लैंडर मॉड्यूल की स्पीड़ छह हज़ार किमी प्रति घंटा से अधिक होगी ! यह दोनों इंजन ही इस स्पीड़ को धीरे धीरे शून्य तक ले जायेंगे ! पांच से सात मिनट बाद यानी घड़ी में जब ५.३९ मिनट हो रहे होंगे , लैंडर मॉड्यूल चांद की सतह से १०० मीटर की ऊंचाई पर आ जाएगा ! १०० मीटर की ऊंचाई पर लैंडर बाधाओं के लिए सतह को स्कैन करेगा ! यानी जिस यंत्रका इस्तेमाल करके लैंडर सतह को स्कैन करेगा , उन दोनों का नाम है लेजर डॉपलर वेलोसिटीमीटर Laser Doppler Velocity meter – LDV और Lander Horizontal Velocity Camera – LHVC. LDVM चाँद की ज़मीन पर उतरते समय 3 D (३ डी ) लेज़र फेंकेगा ! यह लेज़र ज़मीन से टकरा कर वापस लैंडर मॉड्यूल तक आएगी और बताएंगी कि सतह कैसी हैं ? ऊँची नीची, उबड़ खावड़ ! इसके आधार पर वो लैंडिंग के लिए सही जगह का चुनाव करेगा !

चंद्रयान ३ – लेज़र और ऑन बोर्ड कंप्यूटर !

इसके अलावा दो और दिशाओं में भी लेज़र जाएंगे ! वो ये देखेंगे कि कहीं सामने या पीछे की तरफ कोई ऊंची चीज़ तो नहीं है, जिससे लैंडर के टकराने का ख़तरा हो ! इसके साथ ही LHVC, जो ज़मीन के नीचे के हिस्से की तस्वीर लेना शुरू करेगा, वो भी गति में ! ताकि लैंडर के उतरने और हवा में तैरते रहने की गति का पता चल सके ! साथ ही खतरों का अंदाज़ा हो सके ! ऑन बोर्ड कंप्यूटर यह तय करेगा कि कौन सा इंजन, किस समय, कितनी देर के लिए ऑन किया जाएगा , यान किस दिशा में जाएगा ! अगर कोई बाधा आती है, चंद्रयान ३ को, तो टारगेट स्थल से आगे पीछे ले जाने की व्यवस्था रहेगी ! १ किमी के दायरे में उसकी सुरक्षित लैंडिंग हो सकती है ! अगर एक जगह ठीक नहीं है तो दूसरे स्थान पर लैंडिंग हो जाएगी !

चंद्रयान ३ लैंड करने के लिए स्थान !

इस बार चंद्रयान ३ लैंड करने के लिए दो स्थान निश्चित किए गए हैं ! अगर एक स्थान पर यह नहीं उतर पाता है, तो इसको निश्चित किए गए दूसरे स्थान पर उतारा जाएगा ! जैसे ही स्थान निश्चित हो जाएगा और इन सब सेंसर्स (sensors) को सब सही लगता है, तो धीमी गति से लैंडर मॉड्यूल उतरना शुरू कर देगा ! १ या २ किमी की ऊंचाई पर आने के बाद करीब १५ मीटर प्रति सेकंड की गति से नीचे उतरेगा ! Touch Down (टच डाउन ) तक यानी चांद पर उतरने तक अपने Thrusters (ट्रस्टर्स ) को फायर करता रहेगा ! और इस तरह से ५.४७ के समय पर हमारा चंद्रयान ३ चांद की सतह पर होगा ! वायुमंडलीय परिस्थितियों के अनुसार समय/दिन और तारीख भिन्न हो सकती है। लाइव अपडेट के लिए – ISRO WEBSITE: isro.gov.in
Facebook – https://facebook.com/ISRO

अंत में इसी प्रक्रिया से जुड़ी एक जानकारी और जान लिजिए ! उतरते वक्त एक और समस्या आ सकती है वह है चंद्रधूल ! जी हां, गति में कमी आने के बाद भी चंद्रधूल, यानी चांद की सतह से उड़ने वाली धूल की समस्या बनी रहती है ! आपने किसी हेलीकॉप्टर (Helicopter) को ज़मीन पर उतरते हुए देखा होगा ! उतरते वक्त उसके चारों तरफ जैसे धूल उड़ने लगती है, वैसेही लैंडर उतरते हुए चांद पर होता है ! चांद की सतह को छूते समय लैंडर मॉड्यूल के Thrusters (ट्रस्टर्स ) इंजन, तेज गतिसे चंद्रमा की धूल को सतह से उड़ा देते हैं ! इससे कैमरे का लेंस (lens) अस्पष्ट हो सकता है और गलत रीडिंग (reading) आ सकती है !

चंद्रयान ३ और चंद्र धूल (Lunar Dust) !

चंद्र धूल – चंद्रमा की सतह के महीन अपघर्षक कण हैं ! चांद पर उतरते वक्त Thrusters (ट्रस्टर्स ) इंजन की वजह से धूल के बादल बन सकते है, जो लैंडिंग समाप्त होने तक कुछ मिनटओं के लिए दृष्टि को पूरी तरह से अस्पष्ट कर सकते है ! चंद्रयान ३ के लिए यह बड़ी समस्या हो सकती है ! हम तो बस प्रार्थना करते हैं ! और आपसे भी प्रार्थना का निवेदन करते हैं , कि २३ अगस्त को सब कुछ अच्छा हो और हमारा चंद्रयान ३, चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कर जाए ! चंद्रयान ३ की चांद पर लैंडिंग तेईस अगस्त को लाइव (live) देखी जा सकती है ! आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स (Comment Box) में लिखकर ज़रूर बताएं ! यदि चंद्रयान 3 की लैंडिंग सफल हो जाती है, तो भारत पहला देश होगा जो पृथ्वी के निर्माण और विकास के पीछे के सिद्धांत को व्यावहारिक रूप से साबित कर सकेगा। जय हिंद ,जय भारत !

चंद्रयान ३ की लैंडिंग के लिए २३ अगस्त २०२३ की तारीख ही क्यू रखी गई थी ?

२३ अगस्त २०२३ (23 August 2023) दिन / तारीख को ही क्यों चुना गया था ! (चयन चयन क्यों किया गया !) ? चलिए , इसे भी इस ब्लॉग में समझते है ! पृथ्वी की तरह चाँद पर एक दिन २४ घंटे का नहीं बल्कि ७०८.७ घंटे का होता है ! (708.7 hours) ! चाँद का एक दिन पृथ्वी के २९ दिनों के बराबर है ! (1 day of Moon = 29 days of Earth). चाँद पर २२ अगस्त २०२३ तक अँधेरा है ! जैसा हमारी पृथ्वी पे दिन के बाद रात होती है और रात के बाद दिन होता है, ठीक उसी तरह ! २३ अगस्त २०२३ को चाँद पर सूरज की रोशनी पड़ेगी ! ऐसी वजह से चंद्रयान ३ की लैंडिंग के लिए २३ अगस्त २०२३ (23 August 2023) की तारीख रखी गई है ! (Pragyan Rover)प्रज्ञान रोवर, जो विक्रम लैंडर के साथ भेजा गया है वो सोलर पावर (Solar Powered) है ! सूरज की रोशनी से, चंद्रयान ३ के रोबोट से चाँद की सतह की बेहतरीन तस्बीरें इसरो को भेजीं जा सके ! और हम सभी ने ये लाइव देखा है , के ऐसा ही हुवा है ! 🙂

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चंद्रयान ३ और अक्सर पूछे जाने वाले सवाल !

चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी कितनी है?
चंद्रमा औसतन २३८,८५५ मील ( ३८४,४०० किमी) दूर है।

चंद्रयान ३ कहाँ से लॉन्च किया गया है?
चंद्रयान ३ ने , १४ जुलाई २०२३ को भारत, आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से उड़ान भरा था ! ४० दिनों की लंबी यात्रा के बाद २३ अगस्त २०२३, को यह चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की कोशिश करेगा !

चंद्रयान ३ का उद्देश्य क्या है?
वैज्ञानिकों को हमारे निकटतम खगोलीय पड़ोसी – चंद्रमा, के इतिहास और विकास के बारे में अधिक जानने में मदद करने के लिए डेटा एकत्र करना !

चंद्रयान 3 की लागत क्या है?
चंद्रयान ३ का बजट लगभग रु. ६१५ करोड़ जो अन्य चंद्र मिशनों की तुलना में काफी कम है।

क्या चंद्रयान 3 एक मानवयुक्त मिशन है?
चंद्रयान ३ एक मानवरहित मिशन है!

चंद्रयान 3 के लैंडर और रोवर के नाम क्या हैं?
विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ! ( Vikram Lander & Pragyan Rover)

प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) क्या है?
प्रज्ञान रोवर (Pragyan rover) भारत द्वारा विकसित किया गया एक अंतरिक्ष रोवर हैं। ये सोलर पावर पे कार्य करता है ! इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन बनाया गया है। (मेड इन इंडिया ) ! इसे चन्द्रयान २ के साथ, २२ जुलाई २०१९ को लॉन्च किया गया था । प्रज्ञान जिसका अर्थ संस्कृत में ‘बुद्धिमत्ता’ है।

CREDITS:
1. INTERNET
2. PHOTOS – GOOGLE
3. DAILY TREDNING NEWS.
4. GetSetFlyScience

By gyanbyjabulani.in

मैं एक प्रमुख साइकिल चालक हूं और घूमना पसंद करता हूं। मैं प्रकृति के प्रति बहुत संवेदनशील हूं और कृतज्ञता के साथ-साथ ब्रह्मांड में मौजूद अनंत ऊर्जाओं में भी विश्वास रखता हूं। मैं कॉमर्स में पोस्ट ग्रेजुएट हूं और मुझे आईटी के साथ-साथ प्रबंधन में भी लगभग २१ वर्षों का पेशेवर अनुभव है।

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