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दिवाली पर अभ्यंगस्नान परंपरा है। सुबह जल्दी उठकर शरीर पर तेल-उबटन लगाकर स्नान करना अभ्यंगस्नान कहलाता है। आयुर्वेद में अभ्यंगस्नान का बहुत महत्व है।
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अभ्यंगस्नान की शुरुआत सूर्योदय से पहले उठकर करनी चाहिए। तेल लगाने से पहले, एक समृद्ध शुरुआत के लिए दिव्य आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।
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नियमित अभ्यंगस्नान त्वचा को अच्छी तरह से पोषण देता है और त्वचा का लचीलापन बढ़ाकर उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है।
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अनुष्ठान में उपयोग वाला तेल तथा उबटन प्राकृतिक चीजों से जैसे तिल के तेल या नारियल के तेल से तैयार किया जाता है; जो त्वचा को प्राकृतिक चमक देने में मदद करता है।
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अभ्यंगस्नान से शारीरिक लाभ के साथ-साथ मानसिक आराम भी मिलता है। यह स्नान तनाव को भी कम करता है, मन को शांत करता है और आत्म कल्याण की भावना को बढ़ाता है।
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अभ्यंगस्नान को लेकर आयुर्वेद के पास समृद्ध विरासत है, वहीं अब विज्ञान के साथ-साथ त्वचा विशेषज्ञ भी स्नान की इस प्रक्रिया की सलाह दे रहे हैं। अभ्यंगसन करें और दीपावली का आनंद लें !
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