पद्मश्री गजल गायक पंकज उधास नहीं रहे ! लेजेंडरी ग़ज़ल गायक पंकज उधास का आज २२ फरवरी २०२४, सोमवार के दिन निधन हो गया है ! ७२ वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना अंतिम सांस लिया ! पंकज की बेटी नायाब उधास ने सिंगर की मृत्यु की सूचना दी है ! सोशल मीडिया पर सिंगर को नम आंखों से आखिरी श्रद्धांजलि दी जा रही है ! वो लंबे समय से बीमार थे ! वो उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे ! १० दिन पहले अस्पताल में भर्ती हुए थे ! एक पारिवारिक सूत्र ने बताया कि ब्रीच कैंडी अस्पताल में सुबह करीब ११ बजे उनकी मृत्यु हो गई ! उनका अंतिम संस्कार मंगलवार, २३ फरवरी २०२४, को किया जाएगा ! पंकज के परिवार में पत्नी फरीदा उधास, बेटियां नायाब और रेवा उधास और भाई निर्मल और मनहर उधास हैं, जो गायक भी हैं !
पंकज उधास का म्यूजिकल करियर बचपन से ही शुरू हुआ था !
सिंगर का जन्म १७ मई १९५१ को जीतपुर, गुजरात में हुआ था ! उनके पिता खेती करते थे ! वह तीन भाइयों में सबसे छोटे थे ! उनके माता-पिता केशुभाई उधास और जितुबेन उधास हैं ! उनके सबसे बड़े भाई मनहर उधास बॉलीवुड फिल्मों में गाते थे और उनके दूसरे भाई निर्मल उधास भी एक प्रसिद्ध ग़ज़ल गायक हैं ! पंकज छह साल की उम्र से संगीत से जुड़ गए थे ! उनके घर में संगीत का प्रभाव था ! उस ही वज़ह से वो संगीत की दुनिया में आये थे और हमेशा के लिए उसके होकर रह गए थे ! पंकज उधास ने एक बार बताया था कि स्कूल में प्रार्थना करने में उनका संगीत का पहला प्रदर्शन हुआ था ! स्कूल में उनकी वो पहली प्रेयर थी ! स्कूल में प्रार्थना करने से संगीत का पहला प्रदर्शन हुआ था !
उनके दादाजी गाँव से पहले स्नातक थे और भावनगर राज्य के दीवान (राजस्व मंत्री) थे। उनके पिता, केशुभाई उधास, एक सरकारी कर्मचारी थे ! उन्होंने सर बीपीटीआई भावनगर से शिक्षा प्राप्त की थी ! उसके बाद उनका परिवार मुम्बई आ गया और पंकज ने वहाँ के सेंट जेवियर्स कॉलेज में पढ़ाई की थी ! संगीत में उनकी रुचि को देखते हुए उनके पिता ने उन्हें राजकोट में संगीत अकादमी में दाखिला दिलाया था ! उधास ने शुरू में तबला सीखने के लिए खुद को नामांकित किया, लेकिन बाद में गुलाम कादिर खान साहब से हिंदुस्तानी मुखर शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू किया ! इसके बाद उधास ग्वालियर घराने के गायक नवरंग नागपुरकर के संरक्षण में प्रशिक्षण लेने के लिए मुंबई चले गए थे !
पैंक्रियाज के कैंसर से जूझ रहे थे सिंगर !
सिंगर अनूप जलोटा ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए इस बात की पुष्टि की है कि पंकज उधास को पैंक्रियाज का कैंसर था ! उन्हें चार महीने पहले ही इसके बारे में पता चल गया था !
पंकज उधास का करियर !
उधास ने पहली बार १९७२ की फिल्म “कामना” में अपनी आवाज दी जो कि एक असफल फिल्म रही थी ! इसके बाद, उधास ने ग़ज़ल गायन में रुचि विकसित की और ग़ज़ल गायक के रूप में अपना करियर बनाने के लिए उन्होंने उर्दू भी सीखी ! सफलता न मिलने के बाद वे कनाडा चले गए और वहां तथा अमेरिका में छोटे-मोटे कार्यक्रमों में ग़ज़ल गायिकी करके अपना समय बिताने के बाद वे भारत आ गए !
पंकज उधास को महेश भट्ट की १९८६ की क्राइम थ्रिलर “नाम” से “चिट्ठी आई है”, प्रवीण भट्ट की १९९८ की फिल्म “एक ही मकसद” से “चांदी जैसा रंग है”, फिरोज खान की १९८८ की एक्शन थ्रिलर “दयावान” से “आज फिर तुमपे”, लॉरेंस डिसूजा की १९९१ की रोमांटिक फिल्म “साजन” से “जीये तो जीये कैसे”, और अब्बास-मस्तान की १९९३ की रिवेंज थ्रिलर “बाजीगर” से “छुपाना भी नहीं आता”, जैसे यादगार ट्रैक के लिए अपनी आवाज देने के लिए जाना जाता है !
उनके ग़ज़ल करियर में आहट (१९८०) जैसे प्रतिष्ठित एल्बम और ना कजरे की धार, और आहिस्ता किजिये बातें, एक तरफ उसका घर और थोड़ी थोड़ी पिया करो जैसे ट्रैक शामिल हैं ! बाद में उधास ने सोनी एंटरटेंमेंट टेलीविजन पर ‘आदाब अर्ज है ‘ नाम से एक टेलेंट हंट कार्यक्रम की शुरुआत की थी ! अभिनेता जॉन अब्राहम उधास को अपना मेंटर कहते हैं !
हिंदुस्तान टाइम्स के साथ पंकज का इंटरव्यू !
हिंदुस्तान टाइम्स के साथ एक इंटरव्यू में, पंकज ने एक अंतराल के बाद मंच पर वापस आने के बारे में खुलकर बात की थी ! “कोरोना महामारी से पहले, किसी भी संगीत कार्यक्रम से पहले मुझमें बहुत आत्मविश्वास होता था ! लेकिन महामारी का दौर मनोवैज्ञानिक रूप से भी कठिन था ! हालाँकि मैंने अपना रियाज़ नियमित रूप से किया और इसे बनाए रखने और जंग न लगने की कोशिश की, लेकिन मंच और दर्शकों के संपर्क में कमी थी ! इसलिए, जब मैं दो साल बाद रामपुर (उत्तर प्रदेश) में एक संगीत कार्यक्रम के साथ मंच पर वापस आया, तो मैं वास्तव में घबरा गया था ! लेकिन जब मैं मंच पर गया और देखा कि ६,००० लोग मेरे लिए जयकार कर रहे हैं, तो मेरी आंखों में आंसू आ गए ! यह एक बहुत ही भावनात्मक क्षण था, क्योंकि मैं इतने लंबे समय तक मंच से वंचित था,” उन्होंने कहा था।
पंकज उधास की मौत पर नरेंद्र मोदी का बयान !
पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने एक्स अकाउंट के जरिए अपनी संवेदना व्यक्त की है !उन्होंने लिखा: “हम पंकज उधास जी के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं, जिनकी गायकी ने कई तरह की भावनाओं को व्यक्त किया और जिनकी ग़ज़लें सीधे आत्मा से बात करती थीं ! वह भारतीय संगीत के एक प्रकाश स्तंभ थे, जिनकी धुनें पीढ़ियों से चली आ रही थीं ! मुझे पिछले कुछ वर्षों में उनके साथ हुई अपनी विभिन्न बातचीतें याद हैं ! उनके जाने से संगीत जगत में एक खालीपन आ गया है जिसे कभी नहीं भरा जा सकेगा ! उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। शांति।”
पंकज उधास के निधन से हर कोई दुखी है ! लोकप्रिय गायक और म्यूजिक कंपोजर शंकर महादेवन सदमे में हैं ! उन्होंने पंकज उधास के निधन को संगीत जगत का बड़ा नुकसान बताया है ! उन्होंने कहा कि इसकी भरपाई नहीं हो सकती। वहीं, सोनू निगम ने भी पंकज उधास के निधन पर इमोशनल पोस्ट लिखा है ! सोनू निगम ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट साझा कर लिखा है, ‘मेरे बचपन का महत्वपूर्ण हिस्सा आज खो गया है ! श्री पंकज उधास जी, आप हमेशा याद आएंगे ! आप नहीं रहे, यह देखकर मेरा दिल भर आया है ! ओम शांति’ !
चिठ्ठी आई है – सदाबहार और प्रसिद्ध गीत !
अगर कोई एक गाना है जो पंकज उधास के नाम का ट्रेडमार्क है, तो वह १९८६ में संजय दत्त अभिनीत फिल्म “नाम” का यह अविस्मरणीय ट्रैक है ! गायक की सुरीली आवाज समय के बीतने और संचार के महत्व को एक सुंदर सामंजस्य प्रदान करती है ! गीत विशेष रूप से इस बात की मार्मिक याद दिलाते हैं कि जब भी कोई दिव्य बुलावा (divine calling) आता है तो कोई उसे कभी भी अनदेखा नहीं कर सकता है ! इस गाने से उनको रातोंरात शोहरत मिली थी !
पंकज उधास अपने परोपकारी प्रयासों के लिए भी जाने जाते थे।
अपनी संगीत उपलब्धियों के अलावा, उधास अपने परोपकारी प्रयासों के लिए भी जाने जाते थे, जो सामाजिक कल्याण के उद्देश्य से धर्मार्थ कार्यों और पहलों का सक्रिय रूप से समर्थन करते थे ! १९८९ में, उन्होंने एक एल्बम, ‘नबील’ जारी किया था, जो उनके सबसे अधिक बिकने वाले एल्बमों में से एक बन गया था ! एल्बम की पहली प्रति एक नीलामी में रखी गई थी जहाँ इसे १ लाख रुपये की भारी रकम में बेचा गया था ! यह पैसा कैंसर मरीज़ सहायता एसोसिएशन को दान कर दिया गया था ! (Cancer Patients Aid Association) ! ग़ज़ल वादक ने पेरेंट्स थैलेसीमिया यूनिट के लिए भी सक्रिय रूप से काम किया है ! (Parents Thalassemia Unit.)
पंकज उदास और उनकी पत्नी की दिलचस्प प्रेम कहानी !
तो बात 70 के दशक की है ! जब पंकज ने अपने पड़ोसी के घर में फरीदा (जो अब उनकी वाइफ हैं) को पहली बार देखा और देखते ही उनको दिल दे बैठे ! पड़ोसी ने ही पंकज और फरीदा की मुलाकात करवाई थी ! उस वक्त पंकज ग्रेजुएशन कर रहे थे और फरीदा एयर होस्टेस थीं ! दोनों में दोस्ती हुई और मुलाकातों का दौर शुरू हो गया ! कुछ ही महीनों में दोनों एक-दूसरे के बेहद करीब आ गए थे ! जब पंकज ने अपने परिवार को फरीदा के बारे में बताया तो पंकज की फैमिली का रिएक्शन उनके और फरीदा के रिलेशन को लेकर पॉजिटिव था ! लेकिन फरीदा चूंकि पारसी कम्युनिटी से थी, इसलिए उनके पेरेंट्स को ऑब्जेक्शन था ! इसकी वजह ये थी कि उनकी कम्युनिटी में जाति से बाहर शादी करने पर पाबंदी थी !
इस वजह से पंकज और फरीदा ने तय किया कि शादी तभी करेंगे, जब दोनों के पेरेंट्स का आशीर्वाद मिलेगा ! पंकज, फरीदा के पिता से मिले, जो रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर थे ! काफी मनाने के बाद पंकज से मिलकर उन्होंने कहा यदि आप दोनों को ऐसा लगता है कि आप एक-साथ खुश रहेंगे तो आगे बढ़ें और शादी करें ! दोनों की दो बेटियां हैं नायाब और रेवा !
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पंकज उधास के कुछ पुरस्कारों की सूची !
अपने जीवनकाल में, पंकज उधास को प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार सहित कई स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं ! यहां उनमें से कुछ की सूची दी गई है !
२००६ – ग़ज़ल गायकी के करियर में सिल्वर जुबली पूरा करने के उपलक्ष्य में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया !
२००३ – ‘इन सर्च ऑफ मीर’ नामक सफल एल्बम के लिए एमटीवी इम्मीज एवार्ड दिया गया !
२००३ – गज़ल को पूरे विश्व में लोकप्रिय बनाने के लिए न्यूयॉर्क के बॉलीवुड म्यूज़िक एवार्ड में स्पेशल अचीवमेंट एवार्ड से सम्मानित किया गया !
१९९९ – भारतीय संगीत में असाधारण सेवाओं के लिए, विशेष रूप से भारत और विदेशों में ग़ज़ल को बढ़ावा देने के लिए भारतीय विद्या भवन, अमेरिका पुरस्कार. न्यूयॉर्क में आयोजित गजल समारोह में प्रदान किया गया !
१९९४- संयुक्त राज्य अमेरिका के ल्यूबोक टेक्सास की मानद नागरिकता !
१९८५ – वर्ष का सर्वश्रेष्ठ गज़ल गायक होने के लिए के एल सहगल एवार्ड से सम्मानित किया गया !
हम पद्मश्री पंकज उधास के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं !
Credits:
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