डिजिटल का दबदबा, मीडिया के बढ़ते प्रभाव से बच्चों पर नियंत्रण रखने की जरूरत है ! उसके लिए माता-पिता को भी बच्चे की ऑनलाइन एक्टिविटीज के बारे जानकारी जरूरी है ! थोड़ी सी सावधानी बरतकर हम सोशल मीडिया पर अपने बच्चों के व्यवहार को नियंत्रित कर सकते हैं ! यह न केवल पेरेंटिंग के लिए जरुरी है, बल्कि जानने के लिए भी आवश्यक है के बच्चों को इंटरनेट से कैसे सुरक्षित रखें?
आजकल क्या बच्चे, क्या बड़े, हर कोई इंटरनेट की वैश्विक दुनिया में शामिल हो रहे है ! इस डिजिटल दुनिया में किशोर बच्चे भी मल्टीमीडिया का उपयोग हर दिन करते हैं ! जैसे संगीत सुनते हुए वेब सर्फ करना ! वे फोन पर बातें (chatting) कर रहे हैं ! ज्यादातर जो बच्चे पॉप संगीत सुनते हैं, वीडियो; डीवीडी और टेलीविजन
देखते है , कंप्यूटर या वीडियो गेम गेम खेलते है तथा इंटरनेट पर सर्फिंग करते है, वास्तव में वे उतने परिपक्व नहीं हैं के वास्तव और आभासी दुनिया का फर्क समज सके ! इसलिए बच्चों में आक्रामक व्यवहार, कम उम्र में लत (नशा करना), यौन इच्छा, मोटापा और पढ़ाई में एकाग्रता कम होना ऐसे दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं ! डिजिटल का दबदबा तथा मीडिया के बढ़ते प्रभाव से बच्चे दूर रहे इसलिए अभिभावकों को ( माँ -बाप ) सोशल मीडिया पे क्या चल रहा है तथा उनका बच्चा कितना जुड़ा हुवा है , ये जानकारी होनी ही चाहिए ! तभी वो बच्चों के लिए उपयुक्त मार्गदर्शन भी कर सकते है । यह महत्वपूर्ण है कि बच्चों की उम्र के आधार पर, बहुत अधिक स्वतंत्रता या अत्यधिक नियंत्रण के बीच संतुलन बनाना होगा !
कंप्यूटर और टीवी के लिए उपयुक्त स्थान निर्धारित करें !
माता-पिता द्वारा जरुरी एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना चाहिए की उन्हें बच्चे के शयनकक्ष में इंटरनेट एक्सेस वाला कंप्यूटर या टीवी न रखें ! घर में और किसी ऐसे क्षेत्र में ही रखें ! ताकि आपका लड़का आपकी आंखों के सामने हो !आपको ये आपको पता चले की बच्चे कौनसा चॅनेल देख रहे है ! आपको ये पता चले की बच्चे कही एडल्ट या क्राइम सीन तो नहीं देख रहे है ! वैसे ही आपको ये पता चले की बच्चे कोनसी वेबसाइट पे है ! वो क्या सर्च कर रहे है ! यहाँ बच्चों पे कोई रोक लगाने की बात नहीं हो रही है ! बल्कि उनकी उम्र के अंदाज से ये कोशिश हो रही है के उनके मन तथा मस्तिक्ष पर गलत संस्कार न हो ! बच्चों के रूम में अलग टीवी या कंप्यूटर का न होना , इसे स्टेटस पॉइंट के रूप से न समझे ! इसके अतिरिक्त, बच्चों को माता-पिता से चीजों को छिपाने की आदत विकसित नहीं होगी ! वे बहुत स्पष्ट हो जाते हैं कि उनके माता-पिता उन्हें क्या देखने के लिए समर्थन कर रहे हैं और क्या प्रतिबंधित है !
इंटरनेट के खतरों पर बच्चोंसे चर्चा करें !
अनजाने में, बच्चों को कई अवांछित वेब साइटों, फ़ोटो या यहां तक कि शब्दों का सामना करना पड़ता है ! उन्हें पूरा विश्वास दिलाएं कि वे इंटरनेट पर देखी गई हर चीज के बारे में आपसे बात कर सकते हैं। उन्हें अनचाहे ईमेल और वेबसाइटें ब्लॉक करने में सहायता करें ! इससे बच्चों के मन में जिज्ञासा से लेकर सहजता का स्तर पैदा होगा। कई बार डर की कमी या शर्म के कारण बच्चे माता-पिता के सामने खुलकर नहीं बोल पाते हैं। वे किसी विशेष विषय पर बाहर से स्पष्टता प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। इसमें वे गलत लोगों या गलत साइट्स का शिकार हो सकते हैं।
बच्चे की ऑनलाइन पहचान !
आपके बच्चे ने ईमेल खाता, सोशल नेटवर्किंग प्रोफाइल और ऑनलाइन व्यक्तिगत वेबसाइटें इसपर, पहचान संबंधी क्या जानकारी प्रदान की है? आप इस चीज़ को जाणे ! उससे पूछें कि वह क्या खोजता (searching) है ! किस चैट रूम से जुड़ा है और आप किससे बात करते हैं? एक अभिभावक के रूप में हमें यह जानना चाहिए और अपने बच्चों को यह बताना चाहिए कि ऑनलाइन व्यक्तिगत जानकारी असुरक्षित है ! जब भी बच्चे सोशल मीडिया पर अपनी वास्तविक उम्र के साथ पंजीकरण कर रहे हैं, तो वे सोशल मीडिया के खतरों की चपेट में आ सकते हैं ! ऐसी कई साइटें हैं जो रजिस्ट्रेशन के समय ली गई निजी जानकारी दूसरे लोगों को बेचती हैं ! यह सोशल मीडिया का बेहद गंभीर ख़तरा पहलू है, ख़ासकर लड़कियों के लिए !
ऑनलाइन अकाउंट्स प्रबंधित (control) करें !
बच्चों के ऑनलाइन खातों के लिए अपना नाम पंजीकृत करें ! पासवर्ड, विषय फ़िल्टरिंग, वेबसाइटें ब्लॉक करने के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा इनके लिए भी मानदंड स्थापित करें ! ऑनलाइन मित्रों से सावधान रहें ! ध्यान रखे के आपके बच्चे कीसी ऐसे व्यक्ति से वाक़ई मुलाकात ना करें जिसकी मुलाकात ऑनलाइन हुई है ! क्योंकि ऐसे कई अपराधी भी हैं जो मिलने के लिए इंटरनेट का उपयोग करते है और फिर बाद में बच्चों को परेशान करते हैं ! अपने बच्चे को इंटरनेट पर निजी जानकारी भेजने की अनुमति न दें ! फिर यह निजी स्वरुप में हो , चाहे वो मैसेज से हो या पब्लिक साइट के माध्यम से ! आपके बच्चोंको निजी जानकारी का अर्थ स्पष्ट करें ! और बताएं कि ऐसी जानकारी सुरक्षित रखना जरुरी क्यों है और सुरक्षित ही रखी जानी चाहिए ! अपना पूरा नाम, पता कभी न बताएं ! फ़ोन नंबर न दें ! साथ ही, तस्वीरें भी सांझा ना करें !
कई बार, कई साइटें पंजीकरण के समय व्यक्तिगत जानकारी मांगती हैं ! दरअसल उनमें से कई इनपुट वेबसाइट के उपयोग से प्रासंगिक नहीं हैं ! हालाँकि, व्यक्तिगत जानकारी की संवेदनशीलता के बारे में जानकारी की कमी के कारण बच्चे आसानी से सब कुछ साझा कर देते हैं ! ऐसे में ये उनके लिए गले की फांस बन सकता है ! बच्चे अपनी उम्र, मानक, स्कूल का नाम, बस विवरण और हर चीज़ के संबंध में पूरी जानकारी साझा करते हैं ! इन्हीं जानकारियों को जुटाकर अपराधियों ने स्कूल से ही बच्चों का अपहरण कर लिया है ! वे हर जानकारी स्कूल अधिकारियों के साथ इतनी स्पष्टता से साझा करते हैं, कि कोई भी उनकी प्रामाणिकता पर संदेह नहीं कर सकता ! दुर्भाग्य से, ये सभी सूक्ष्म स्तर की जानकारी उन्हें बच्चों से ही मिलती है !
बच्चों की व्यक्तिगत जानकारी के बारे में सावधानी बरतनी चाहिए !
ऐसी घटनाओं से बचने के लिए, यह सुनिश्चित करना और बच्चों को जागरूक करना बहुत महत्वपूर्ण है कि व्यक्तिगत जानकारी बिल्कुल भी साझा नहीं की जानी चाहिए ! कम से कम जब वे अकेले हों तो उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए ! माता-पिता को नई गेम साइट या वेब साइट पर लॉग इन करते समय या किसी ऑफर का लाभ उठाते समय पंजीकरण विवरण की निगरानी करनी चाहिए ! मुख्य रूप से, ऑनलाइन खरीदारी के साथ-साथ कोई भी ऑनलाइन लेन-देन करते समय, माता-पिता को बच्चों के साथ अवश्य जाना चाहिए ! अभिभावकों को कहीं भी ऐसी जानकारी भरते समय लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए ! अगर जरूरत पड़ी तो उन्हें यह सवाल करना चाहिए कि जानकारी मांगने वाले किसी भी व्यक्ति को इस निजी जानकारी की आवश्यकता क्यों है ! इससे बच्चों के मन में संवेदनशीलता की भावना पैदा होती है और वे अधिक जिम्मेदारी से व्यवहार करते हैं !
बातचीत में सावधानी बरतने को कहें !
बच्चों को किसी भी खतरनाक चैट, मैसेज या ई-मेल को नजरअंदाज करना सिखाएं ! कोई भी संदिग्ध या आपत्तिजनक ऑनलाइन उपयोग संबंधित अधिकारियों को रिपोर्ट करें ! प्रासंगिक ईमेल और संदेशों को सुरक्षित रखें ! ताकि उनका उपयोग अपराधियों की जांच में किया जा सके ! बच्चों को बताएं कि अस्पष्ट संपर्कों को कैसे “ब्लॉक” किया जाए ! बच्चों को संदिग्ध संपर्कों/लोगों की “रिपोर्ट” करने के बारे में जागरूक करें ! उन्हें अवांछित समाचार पत्रों या मेलों से “सदस्यता समाप्त” (UNSUBSCRIBE) के बारे में और अधिक जागरूक बनाएं। ये सभी चीजें सोशल मीडिया एप्लिकेशन के लिए प्रभावी और अनिवार्य हैं ! हमें बस इनका उपयोग लगन से करना है !
इंटरनेट पर उपस्थिति के संबंध में !
हालाँकि किसी चीज़ को हटाना आसान है, पर फ़ाइलें संग्रहीत रहती हैं और उनका पता लगाया जा सकता है ! इसलिए बच्चों को सलाह दें कि वे कोई भी जानकारी ऑनलाइन पोस्ट करने या ईमेल करने से पहले दो बार सोचें ! फ़ोटो साझा करते समय सावधान रहें ! क्या आपका बच्चा वेबकैम का उपयोग करता है? या क्या वह अपनी तस्वीरें ऑनलाइन पोस्ट करता है? उसे याद दिलाएं कि इंटरनेट सार्वजनिक है और कोई भी फोटो तक पहुंच सकता है ! उससे चर्चा करें कि कौन सी वास्तविक तस्वीरें हैं जिन्हें अन्य लोग देख सकते हैं ! अपने बच्चों को वेबकैम का सही उपयोग करना सिखाएं ! घर पर आपकी गोपनीयता को वेबकैम के माध्यम से सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए ! बच्चों को यह स्पष्ट कर दें कि सभी तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड नहीं की जानी चाहिए ! विशेष रूप से स्कूल/कॉलेज पहचान पत्र या आधार कार्ड विवरण के साथ फोटो ! बच्चों में यह भी प्रवृत्ति होती है कि वे सोशल मीडिया पर मिनट दर मिनट अपने बारे में पोस्ट करते रहते हैं ! इससे बच्चों को ट्रैक करना आसान हो जाता है !
बच्चों के लिए इंटरनेट/सोशल मीडिया के लिए पासवर्ड सुरक्षा उपाय !
आम तौर पर बच्चे गेम खेलना शुरू करने या वेबसाइट खोलने के लिए बहुत उत्सुक होते हैं ! इसके लिए वे पासवर्ड नहीं रखते या ऐसे पासवर्ड रखते हैं जिन्हें टाइप करना/याद रखना बहुत आसान हो ! हालाँकि यह बिल्कुल भी अच्छा अभ्यास नहीं है ! बच्चों को सुरक्षा के तौर पर जटिल पासवर्ड का महत्व समझाएं ! उन्हें जटिल पासवर्ड बनाना सिखाएं ! प्रारंभ में, इसे संरेखित करने में कुछ समय लग सकता है, लेकिन सुरक्षा सबसे पहले आती है ! एक बार जब बच्चों में गोपनीयता की ऐसी आदत विकसित हो जाती है, तो यह उनके लिए जीवन का नियम बन जाता है ! मैं स्पष्ट कर दूं, चाहे जो भी हो, माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लड़कियां सुरक्षा उपायों का सख्ती से पालन कर रही हैं !
इंटरनेट तथा सोशल मीडिया उपयोग नियम बनाएं !
कंप्यूटर और इंटरनेट के उपयोग के लिए नियम बनाएं ! इसे याद रखना के लिए नियमों को प्रिंट करके कंप्यूटर के पास रखें ! नियमों में इन बातों का उल्लेख होना चाहिए, उन्हें क्या देखना चाहिए? कब देखना है? और कितना समय देना चाहिए? बच्चों को कम से कम समय इंटरनेट तथा सोशल मीडिया के लिए दिया जाना चाहिए !
इंटरनेट सुरक्षा युक्तियों के बारे में अधिक जानने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें !
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