साहस, समर्पण और मजबूत उद्देश्य हमारी ताकत की नींव हैं। आइए इस प्रेरणादायक और मोटिवेशनल कहानी से इसे समझते हैं।
पेड़ के खोखले में कहीं एक पक्षी का बीज फँसा हुआ था। चिड़िया ने पेड़ से वह दाना देने की विनती की, लेकिन पेड़ ने छोटी चिड़िया की बात नहीं सुनी।
हारकर पक्षी बढ़ई के पास गया और उससे पेड़ काटने का अनुरोध किया, क्योंकि पेड़ दाणा नहीं दे रहा था। लेकिन बढ़ई अनाज के लिए पेड़ कहाँ काटने वाला था?
तब चिड़िया राजा के पास गई और राजा से कहा कि बढ़ई को दंड दो क्योंकि बढ़ई पेड़ नहीं काटता और पेड़ दाना नहीं देता। राजा ने भी छोटी चिड़िया को डांटकर भगा दिया।
पंछी महावत के पास गया और अनुरोध किया कि जब राजा हाथी की पीठ पर बैठे तो तुम उसे गिरा देना, क्योंकि राजा बढ़ई को दंड नहीं दे रहा है। बढ़ई पेड़ नहीं काट रहा है ! पेड़ मेरा दाणा नही दे रहा है ! महावत ने भी पक्षी को भगाया।
पक्षी हाथी के पास गया और अनुरोध किया कि अगली बार जब महावत आपकी पीठ पर बैठे तो आप उसे नीचे गिरा देना, क्योंकि वह राजा को नीचे गिराने के लिए तैयार नहीं है। लेकिन हाथी ने भी उसकी मदद नहीं की !
अंततः पक्षी चींटी के पास गया और उससे वही प्रार्थना दोहराई कि तुम हाथी की सूंड में प्रवेश करो।
चींटी ने भी चिड़िया से कहा, “चलो यहाँ से भाग जाओ..
पक्षी, जो अब तक याचना की मुद्रा में था, अब उग्र रूप धारण कर लिया। पक्षी ने कहा, "मैं पेड़, बढ़ई, राजा, महावत और हाथी को नुकसान नहीं पहुंचा सकता, लेकिन मैं तुम्हें अपनी चोंच में खा सकता हूं।
चींटी डर गई, वह हाथी की ओर दौड़ी। हाथी भागकर महावत के पास गया। महावत ने राजा से कहा कि तुम पक्षी का काम करो, नहीं तो मैं तुम्हें काट डालूँगा। राजा ने बढ़ई को बुलाया और कहा, पेड़ काट दो, नहीं तो मैं तुम्हें दंड दूँगा। .... ..
बढ़ई पेड़ के पास पहुंचा। बढ़ई को देखकर पेड़ चिल्लाया, मुझे मत काटो। मैं पक्षी को दाना लौटा दूँगा। आख़िरकार चिड़िया ने पेड़ से दाना लिया और खुशी-खुशी अपने घोंसले में चली गई।
बोध :- आपको अपनी ताकत को पहचानना होगा। भले ही आप एक छोटे पक्षी की तरह हों, आपको यह पहचानना होगा कि ताकत की कड़ियाँ कहीं न कहीं आपके माध्यमही से जा रही हैं। हर शेर को सवा शेर मिलता ही है। अपनी लड़ाई से मत डरो, चाहे कोई डॉन ही क्यों न हो !सदैव आशीर्वादित रहें, प्रेरित रहें।
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