उत्तराखंड में अद्भुत रेस्क्यू: सुरंग से 41 मजदूरों को बचाया गया!

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2023 के 29 नवंबर को,उत्तराखंड में एक अद्भुत बचाव अभियान सफल हुआ है, जिसमें टनल में  फंसे 41 मजदूर सफलतापूर्वक मुक्त हुए !

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उत्तराखंड में 12 नवंबर २०२३ की सुबह निर्माणाधीन सिल्कयारा बेंड-बारकोट सुरंग अचानक से ढह गई थी ! (Silkyara tunnel in Uttarkashi)

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 टनल का एक हिस्सा गिरने के कारण, सभी ४१ मजदूर जमिन के अंदर 17 पीड़ादायक दिनों तक फंस गए थे !

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जैसे ही ये बात पता चली सरकार तथा स्थानिक कार्यकर्तों सभी ने मिलकर एक विशाल राहत अभियान शुरू किया गया !

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इस बचाव कार्य मे भारत की विविध एजेंसियों और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया था ! उद्देश्य एक ही था - सभी मजदूरोंको जिंदा बाहर निकलना !

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हालाँकि यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह (पुनर्जीवन) रेस्क्यू ऑपरेशन आसान नहीं था और यह विभिन्न चुनौतियों के साथ लगभग 17 दिनों तक चला।

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काम इतना कठिन था कि मलबा हटाने के लिए लाई गई भारी मशीनरी / ड्रिलिंग मशीनें काम करते समय ही टूट गई !

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आपको यह बतादे के कि फंसे हुए लोगों तक पहुंचने के लिए 60 मीटर में से 15 मीटर जब बाकी है थे तभी  दूसरी भी ड्रिलिंग मशीन खराब हो गई थी !

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अंततः रैट होल माइनिंग नामक एक प्रणाली की मदद से पुनर्जीवन अभियान चलाया गया। (rat hole mining) हालाँकि भारत में इस सिस्टम पर पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है।

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रैट होल माइनिंग से अपर्याप्त सुरक्षा उपाय, बाल श्रम शोषण, वनों की कटाई और मिट्टी का कटाव सहित गंभीर जोखिम पैदा होते हैं। इसलिए इस पर प्रतिबंध लगाया गया है !

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अंतता, विशेष रूप से प्रशिक्षित "रेट माइनर्स" ने बचाव करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ! वो पत्थरों और सड़़कों में छेदख़ानी करके फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचने में सफल रहे ! 

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 "चूहे खनिकों" ने  २९ नवंबर  देर रात काम करना शुरू कर दिया था ! जब काम खत्म हुवा ये सभी सुरंग के बाहर खड़े थे, और उनके चेहरे रात भर की ड्रिलिंग के बाद सफेद धूल से सने हुए थे।

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"यह एक कठिन काम था, लेकिन हमारे लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है," खनिकों में से एक फ़िरोज़ क़ुरैशी ने मुस्कुराते हुए कहा !

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एक सफल परिणाम के रूप में, बचावकर्मियों ने 17 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद मलबे के बीच से एक चौड़े पाइप के माध्यम से पहिये वाले स्ट्रेचर में फंसे श्रमिकों को सफलतापूर्वक बाहर निकाला।

मंगलवार को रात करीब आठ बजे पहले मजदूर को बाहर निकाला गया। लोगों को पास के एक अस्पताल में ले जाने के लिए सुरंग के प्रवेश द्वार पर एम्बुलेंस और हेलीकॉप्टर तैयार थे।

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मजदूरों के बाहर निकलते ही उनके चारों ओर फूलों की मालाएं लगाई गईं  थीं ! सुरंग के बाहर आने परआलू गोभी, रोटी, दाल और चावल का ताजा पका हुआ भोजन परोसा गया ! 

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रैट-होल खनन विशेषज्ञों में से एक, मुन्ना कुरेशी ने उस भावनात्मक क्षण का वर्णन किया है जब उन्होंने अंततः मलबे की दीवार को तोड़ दिया था।

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प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस ऑपरेशन को "मानवता और टीम वर्क का अद्भुत उदाहरण" कहा है।

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फँसने के दौरान मजदूरों को एक छोटी पाइप के माध्यम से ऑक्सीजन, भोजन, पानी और दवाएँ दी गईं और 17 दिनों तक उनसे लगातार संपर्क बनाए रखा गया था ।

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मजदूरों के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए एक दर्जन डॉक्टरों और मनोचिकित्सकों को साइट पर लाया गया था। वे किसी भी स्वास्थ्य आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार थे।

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इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन से जुड़े जिनेवा स्थित विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने बचाव अभियान का नेतृत्व किया था। (Arnold Dix, Geneva)

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इस बचाव ऑपरेशन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना हुई है। श्रमिकों द्वारा रखा गया धैर्य ऐसा था मानो उनके पास कोई अलौकिक प्राकृतिक शक्ति हो।

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आख़िरकार, लगभग 17 दिनों के बेहद जटिल और कठिन ऑपरेशन के बाद, हम 41 सुरंग श्रमिकों को मुक्त कराने में सफल हुए है । आइए हम पूरी बचाव टीम को बधाई दें।

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