समर वेकेशन – गर्मियोंकी छुट्टियाँ आने पर बच्चों को अपना समय कैसे व्यतीत करें और माता-पिता को बच्चों की जिद कैसे पूरी करें, ये प्रश्न परेशान करते हैं ! 🙂 हालाँकि, अगर बच्चोंको, अनजाने में, पढ़ाई से परे जीवन से परिचित कराया जा सके, तो उन्हें अनुभव से समृद्ध किया जा सकता है ! उनके पास उपलब्ध खाली समय उनके भविष्य और व्यक्तित्व के निर्माण में भी काम लाया जा सकता है ! हमें बस उन्हें उन एक्टिविटीज में शामिल करना है जो उनके लाइफ स्कील्स को निखार सकें ! यह ब्लॉग बच्चों को एक्टिव और खुश रखने के लिए कुछ आसान लेकिन अत्यधिक प्रभावी तरीके प्रस्तुत करता है ! आइये अब जानते हैं – समर वेकेशन मॅनेज करने के टिप्स !
चलिए, स्कूली बच्चों को मिलने वाली सभी छोटी-बड़ी छुट्टियों के तरफ थोड़े अलग ढंग से देखते है ! बच्चों को दी जाने वाली ये छुट्टियां शायद उनके दिमाग और शरीर को आराम देने और दिमाग को ‘तेज’ करने के लिए होती हैं ! निःसंदेह, चूँकि हमारे पास गर्मी की छुट्टियाँ लंबी हैं, बच्चे और उनकी छुट्टियाँ हर किसी के दिमाग में रहती हैं ! कई बार माता-पिता ही इस छुट्टी से नफरत करते हैं, क्योंकि वो बच्चों की एक्टिविटीज मॅनेज नहीं कर पाते ! आजकल, नुक्लिअर फॅमिली के साथ-साथ, जहां माता-पिता दोनों कामकाजी हैं, ऐसे दृश्य आम हैं ! लेकिन थोड़े अलग ढंग से समझ लें तो माता-पिता बच्चों की छुट्टियों का आनंद ले सकते हैं !
- १. गपशप (नॉन अकेडेमिक डिस्कशन्स) !
- २. घर पर रिपोर्टिंग पूछने की कॉरपोरेट जैसी संस्कृति न लाएं !
- ३. बच्चों को स्क्रीन टाइम से दूर ले जाना !
- ४. उन्हें शामिल करें और अनौपचारिक शिक्षा प्रदान करें !
- ५. यादों के साथ पारिवारिक संबंध के लिए बच्चों को शामिल करें !
ध्यान में रखने योग्य बेसिक फॅक्ट !
इसके लिए केवल एक ही नियम का पालन करना होगा, वह यह कि बच्चों की छुट्टियों की योजना बनाना माता-पिता पर निर्भर नहीं है; इसलिए इसे पूरी तरह से बच्चों की कला के साथ करना होगा ! एक और बात का पालन करना है कि ज्यादातर हम ये सोचते है की – छुट्टियों के दौरान बच्चों के साथ क्या करना है ? लेकिन ज्यादा असरदार ये है की माता-पिता को तय करना होगा कि छुट्टियों के दौरान बच्चों के साथ क्या नहीं करना है ? जैसे इस दौरान उनके सामने अध्ययन के लिए पीछे नहीं लगना है ! या फिर उन्हें पिछली कक्षा के कच्चे विषयों को सीधे और लगातार याद दिलाना आवश्यक नहीं है ! आइए जानते हैं इसके बारे में !
१. गपशप (नॉन अकेडेमिक डिस्कशन्स) !
वेकेशन के दौरान माता-पिता बच्चों के साथ खूब बातचीत कर सकते हैं ! बच्चे जितना हो सके बात करने दे ! अगर आप बच्चों से गपशप में कही गई बातों के बारे में पूछकर ज्यादा बात करेंगे तो गपशप रंगीन हो जाएगी ! इससे चैटिंग उस विषय की गहराई तक जाएगी ! बच्चों की सोच की गहराई को कोई भी समझ सकता है; लेकिन माता-पिता के रूप में, हम यह भी समझेंगे कि इस मुद्दे पर हम कहाँ खड़े हैं ! ऐसी चर्चाओं से बच्चों को ख़ुशी महसूस हो सकती है ! और, आपको विभिन्न क्षेत्रों के बारे में भी पता चलेगा जिनमें आपके बच्चों की रुचि या जानकारी है !
अधिकांश समय, माता-पिता बच्चे से अपनी अपेक्षाओं या अपने विचारों के बारे में बात करते हैं ! किसी तरह, वे यह समझने से चूक जाते हैं कि आपके बच्चे में क्या पसंद विकसित हो रही है ! अपने बच्चों के साथ समय बिताकर, विभिन्न विषयों पर बात करके, जिन पर आपके बच्चे बात करने में रुचि रखते हैं, आप अपने बच्चों की रुचि वाले क्षेत्रों को समझ सकते हैं ! एक बार जब आपको अपने बच्चे की रुचि वाले विषयों का एहसास हो जाए तो आप उस दिशा में अपने प्रयास / विचार कर सकते हैं ! इससे आपका बच्चा अधिक खुश रहता है और माता-पिता और बच्चों के बीच का बंधन मजबूत होता है !
वास्तविक जीवन का उदाहरण: मौजूदा स्कील को पहचानते हुए और किसी भी चीज़ के लिए दबाव डाले बिना, बिग ब्रदर अजीत ने बहुत कम उम्र में सचिन तेंदुलकर को श्री रमाकांत आचरेकर से मिलवाया ! माता-पिता ने भी सचिन को क्रिकेट से दूर रहने के लिए नहीं कहा और उनके जुनून को पूरा करने में उनका साथ दिया ! इतिहास तो हम सब जानते हैं !
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२. घर पर रिपोर्टिंग पूछने की कॉरपोरेट जैसी संस्कृति न लाएं !
अनुशासन लाने की मीठी धारणा के तहत, माता-पिता दिन के अंत में प्रश्न पूछते रहते हैं ! आपने आज क्या किया, ऐसा क्यों नहीं किया, यह क्यों नहीं सीखा आदि ! यहां हम अनजाने में अपने बच्चों के साथ अपने रिश्ते खराब कर रहे हैं ! दरअसल, दिन के अंत में बच्चे माता-पिता के साथ समय बिताने के लिए उत्सुक रहते हैं ! क्योंकि, जादातर पिता पूरे दिन घर से बाहर रहते हैं ! और माता किचन में बिज़ी रहेती है ! शाम के समय को अधिक सावधानी से प्रबंधित करना होगा और बच्चों की भावनाओं को पूरी प्राथमिकता देनी होगी !
तो, इन स्थितियों को समझदारी से कैसे संभालें? शाम के वक़्त बच्चोंको कोई भी प्रश्न पूछने के बजाय, यदि आप इस बारे में बात कर सकते हैं कि आपने काम पर क्या किया, तो आपको निश्चित रूप से इसे आज़माना चाहिए ! परिणामस्वरूप, बच्चे अपनी दिनचर्या स्वयं निर्धारित करने लगेंगे ! इन दो पहलुओं से, बच्चों के साथ हमारा अटॅचमेंट मजबूत और अधिक पारदर्शी हो जाएगा !
हो सकता है कि बच्चे आपकी ऑफिस गतिविधियों को पूरी तरह से न समझ पाएं, लेकिन उन्हें अच्छा महसूस होता है ! उन्हें एहसास होने लगता है कि माता-पिता उनसे हर बात साझा कर रहे हैं ! यह अंततः आपके बच्चे को दिन भर में की गई गतिविधियों को समझाने में आपके साथ अधिक सहज बनाता है ! यदि माता-पिता बच्चों से बात कर सकें कि उन्होंने किसी प्रोजेक्ट को कैसे ट्रैक किया, कैसे उन्होंने एक कठिन कार्य पूरा किया, तो ऐसी चर्चाएँ बच्चों के लिए रोल-मॉडल बन जाती हैं ! वे गतिविधियों को पूरा करने का प्रयास भी करते हैं, योजना बनाने आदि के बारे में सोचना शुरू कर देते हैं !
३. बच्चों को स्क्रीन टाइम से दूर ले जाना !
पेरेंटिंग के लिए इस सदी की सबसे बड़ी चुनौती बच्चों की स्क्रीन टाइम के प्रति लत है ! हालाँकि इस बारे में केवल चिंता जताने से समस्या का समाधान नहीं होने वाला है ! हमें पहले कदम के रूप में स्वयं से शुरुआत करनी होगी ! हम उम्मीद करते हैं कि हमारे बच्चे “स्क्रीन समय कम करें” लेकिन मुख्य चिंता यह है कि क्या हम उन्हें स्पष्ट विकल्प प्रदान कर रहे हैं? और, विकल्प प्रदान करने के लिए, क्या हम अपने बच्चों के साथ पर्याप्त संवाद कर रहे हैं ताकि उनकी रुचि के क्षेत्रों को समझ सकें? दुर्भाग्यवश, इन दोनों प्रश्नों का उत्तर “नहीं” है ! तो, हम इस चुनौती से कैसे उभरें?
सबसे बड़ी आवश्यकता यह है कि माता-पिता को स्वयं स्क्रीन पर समय बिताने से बचना चाहिए, खासकर जब वे बच्चों के साथ हों ! यह एक ऐसी गलती है जो कई माता-पिता कर रहे हैं कि वे खुद खाना खाते समय, परिवार के साथ समय बिताते समय आदि, बड़े पैमाने पर फोन/लैपटॉप का उपयोग करते हैं ! बच्चे वही करते हैं जो माता-पिता करते हैं ! इसलिए, माता-पिता को उन सभी चीजों का पालन करना चाहिए जो वे चाहते हैं कि उनके बच्चे पालन करें ! यह बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूर रहने और अन्य गतिविधियों में शामिल होने के लिए कहने का पहला ठोस आधार बन जाता है !
तो फिर इससे कैसे बचें?
अब दूसरा भाग आता है ! बच्चों को जल्दी सोने, जल्दी उठने, सुबह की सैर पर जाने, प्रकृति के साथ रहने, विभिन्न पक्षियों और उनकी जीवनशैली को देखने, सप्ताहांत में सार्थक और प्रेरक वास्तविक जीवन पर आधारित फिल्में देखने, अच्छी किताबें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें ! संगीत या नृत्य कक्षाओं आदि में भाग लें ! पहले चरण में यह थोड़ा मुश्किल लग सकता है ! हालांकि, एक बार जब आपको अपने बच्चों की रुचि वाले क्षेत्रों का एहसास होने लगेगा, तो आप इस पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं ! ध्यान रखें, मुद्दा आपके बच्चों का नहीं है ! बल्कि गर्मी की छुट्टियों के दौरान अपने बच्चों को व्यस्त रखने के लिए प्रभावी रणनीतियाँ ढूँढ़ने का है !
समर वेकेशन-बच्चों के लिए ६ विशेष खेल.
उपरोक्त विषय के बारे में अधिक पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें !
४. उन्हें शामिल करें और अनौपचारिक शिक्षा प्रदान करें !
कई बार, कई स्थानों पर, हम एक सामान्य वाक्य सुनते हैं – “अकादमिक पुस्तकों से जो हम सीखते हैं उसके विपरीत वास्तविक जीवन बहुत कठिन है” ! या फिर आमतौर पर हम गुस्से में अपने बच्चों से कहते हैं !- अगर तुम्हें ये बेसिक बात ही नहीं पता तो तुम्हारी पढ़ाई का क्या फायदा ? यहाँ, फिर से समस्या यह है कि हम उम्मीद करते हैं कि हमारे बच्चे स्कूल में सब कुछ सीखेंगे ! हमें इस मनोवैज्ञानिक गलतफहमी को तोड़ना होगा और खुद भी अपने बच्चों को दैनिक जीवन में अनौपचारिक शिक्षा (informal education) देना शुरू करना होगा ! मैं आपको बता दूं, गर्मी की छुट्टियां ऐसा करने के लिए सबसे उपयुक्त समय है ! साथ ही ये करना भी बहुत आसान है !
जब भी आप सब्जी बाजार, या दुकानों या मॉल या बैंक आदि में जाएं तो अपने बच्चों को अपने साथ ले जाएं ! उन्हें बागवानी में शामिल करें ! इसके लिए आपको कोई खास समय प्लान करने की जरूरत नहीं है ! बस उन्हें साथ ले आओ ! उन्हें निरीक्षण करने दें और आपसे प्रश्न पूछने दें ! बस आपको इसका ठीक से जवाब देना होगा ! प्रारंभिक चरण में, चूंकि वे कई नई चीज़ें पहली बार देख रहे हैं, इसलिए उनके मन में कई प्रश्न हो सकते हैं ! हालाँकि एक बार जब वे समझ जाएंगे, तो उनके पास अधिक प्रश्न नहीं होंगे बल्कि उनके पास “ज्ञान” होगा ! उन्हें विभिन्न सब्जियों, विभिन्न अनाज वाले खाद्य पदार्थों, आपके घर के आस-पास की दुकानों के नाम, वित्तीय लेनदेन को समझने आदि की पहचान करने दें !
यह महत्वपूर्ण क्यों है?
पहली बात तो आपके मन में यह सवाल नहीं आएगा कि टाइम पास के लिए उन्हें क्या दिया जाए? दूसरे, आपको इन दैनिक जीवन की सीखों के लिए कोई अतिरिक्त समय निकालने की आवश्यकता नहीं है ! लेकिन इसके बहुत फायदे हैं ! बच्चे पिता से वित्तीय शर्तें सीखना शुरू करते हैं ! माँ से खरीदारी की तकनीक सीखना शुरू करते हैं ! वे गुणवत्ता के लिए तुलना जानना शुरू करते हैं ! मानव व्यवहार सीखना शुरू करते हैं ! वे अपने आसपास के विभिन्न लोगों की अलग-अलग जीवन शैली सीखना शुरू करते हैं, वे समय-प्रबंधन के मूल्य को समझना शुरू करते हैं ! और क्या नहीं…. ! तो जितना अधिक आप उन्हें शामिल करेंगे, उतना अधिक आपके बच्चों का ज्ञान बढ़ेगा ! गर्मी की छुट्टियों के अलावा आपको अपने बच्चों को प्रशिक्षित करने के लिए इतना खाली समय नहीं मिलेगा, है न?
हाल ही की एक वास्तविक घटना में, एक १३ वर्षीय लड़की ने घर पर एक छोटे बच्चे की सुरक्षा के लिए “एलेक्सा” का उपयोग किया ! यह उसके “ज्ञान” के कारण है कि वह जानती थी कि बंदर कुत्तों से डरते हैं, उसने एलेक्सा को “भौंकने” खेलने के लिए कहा ! इस “भौंकने वाली आवाज” के कारण बंदर भाग गये ! आनंद महेंद्रा ने इस १३ साल की लड़की को उसकी ‘बुद्धिमत्ता’ का इस्तेमाल करने के लिए नौकरी की पेशकश की है ! ऐसे “non-academic” स्कील्स, जीवन के अनौपचारिक स्कूल ((informal Education)/अनौपचारिक शिक्षा में ही सीखे जा सकते हैं !
कैसे लड़की ने “एलेक्सा” का इस्तेमाल किया और बहन को बचाया !
इसके बारे में पढ़ने के लिए यहां लिंक पर क्लिक करें !
५. यादों के साथ-साथ पारिवारिक संबंध के लिए बच्चों को शामिल करें !
गर्मी की छुट्टियों की एक बहुत अच्छी बात पर्याप्त समय की उपलब्धता है ! इस समय का प्रभावी ढंग से उपयोग करने का एक और विचार यह है कि बच्चों को पारिवारिक समारोहों की पुरानी यादों से जोड़ा जाए और साथ ही उन्हें परिवार के सदस्यों के विभिन्न संबंधों से परिचित कराया जाए ! आजकल परिवार एकल (नुक्लिअर) होते जा रहे हैं ! पूरे परिवार के साथ एक साथ आने और अवसरों का जश्न मनाने की अवधारणा भी कम होती जा रही है ! इसके कारण, यह आम बात है कि बच्चे परिवार के सदस्यों से पूरी तरह परिचित नहीं होते हैं ! हम यहां एक आसान और प्रभावी विचार लागू कर सकते हैं !
पुराने फोटो एलबम/सीडी या डिजिटल फोटो एलबम/पारिवारिक कार्यक्रमों की वीडियो शूटिंग फिल्में यहां बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं ! सप्ताह में एक बार अपने बच्चों के साथ इन पुरानी यादों को याद करें ! उन्हें अपने रिश्तेदारों के बारे में बताएं ! उन्हें इन रिश्तेदारों के साथ अपने संबंधों के बारे में बताएं ! उन विशेष बातों/घटनाओं के बारे में बताएं जिनका आपने अपने परिवार के सदस्यों के साथ आनंद लिया है ! यदि परिवार के किसी सदस्य के पास प्रेरणादायक उदाहरण हैं, तो अपने बच्चों को उनके बारे में बताएं ! जब भी संभव हो, अपने बच्चों को अपने परिवार के सदस्यों से बात करने/बातचीत करने दें!
यह आपके बच्चों में एक बेहतरीन सामाजिक जुड़ाव लाता है, पारिवारिक संबंधों को दृढ़ता से प्रोत्साहित करता है ! यह बच्चों को शर्मीले स्वभाव से छुटकारा दिलाने में मदद करता है ! बच्चे परिवार से अधिक जुड़ जाते हैं ! हमें और क्या चाहिए, है ना?
समर वेकेशन मॅनेज करने के टिप्स – निष्कर्ष:
ये छोटी-छोटी गतिविधियाँ हम गर्मी की छुट्टियों के दौरान बच्चों के साथ आसानी से कर सकते हैं ! इस अवधि के दौरान, हम ऐसी गतिविधियों के प्रभाव का विश्लेषण भी कर सकते हैं ताकि आप इसे अगली छुट्टियों के दौरान दोहरा सकें ! एक माता-पिता के रूप में, यदि हम अपने बच्चों को थोड़ा अतिरिक्त समय दे सकते हैं तो गर्मी की छुट्टियां माता-पिता के लिए बच्चों के साथ मजबूत बंधन विकसित करने का एक शानदार अवसर है ! गर्मी की छुट्टियाँ, समय है जब आप अपने बच्चों के अतिरिक्त कौशल को पहचान सकते हैं और उन्हें निखार सकते हैं ! आशा है आपको यह लेख – समर वेकेशन मॅनेज करने के टिप्स – पसंद आया होगा ! मुझे गर्मी की छुट्टियों के आनंद के बारे में आपके विचार और गतिविधियाँ जानना अच्छा लगेगा ! कृपया उन्हें नीचे comments में share करें !
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